'हम को इस घर में जानता है कोई'..... पढ़िए गुलजार के चुनिंदा शेर

Harsh Katare
Nov 06, 2024

एक सुकून की तलाश में जाने कितनी बेचैनियां पाल लीं और लोग कहते हैं कि हम बड़े हो गए हमने ज़िंदगी संभाल ली

आइना देख कर तसल्ली हुई हम को इस घर में जानता है कोई

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर आदत इस की भी आदमी सी है

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में एक पुराना ख़त खोला अनजाने में

चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकीं दिल को पिघलाएँ तो हो सकता है साँसें निकलें

जब भी ये दिल उदास होता है जाने कौन आस-पास होता है

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में रुक कर अपना ही इंतज़ार किया

जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ उस ने सदियों की जुदाई दी है

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती है कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता

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