भोपाल: सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को भोपाल के मिंटो हॉल में ''मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता ऋण वितरण  योजना'' (Chief Minister Rural Street Vendor Loan Distribution Scheme) कार्यक्रम में राज्य के 40,000 स्ट्रीट वेंडर्स को ₹10000 का ऋण मुक्त लोन वितरित किया. इस कार्यक्रम में प्रदेश के कई जिलों के लाभार्थी मिंटो हॉल में मौजूद भी थे. मुख्यमंत्री शिवराज ने उनसे बातचीत की और योजना से कैसे उन्हें लाभ मिला इसकी जानकारी हासिल की. 


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इस दौरान मुख्यमंत्री विदिशा जिले की ग्राम पंचायत गुलखेड़ी इमलिया के लाभार्थी वीरेंद्र सिंह राजपूत से भी मुखातिब हुए. इस दौरान उन्होंने अपने साथ हुए एक हादसे का जिक्र करते हुए ​मिंटो हॉल में मौजूद लोगों से कहा, ''इमलिया वालों ने एक बार मेरी जिंदगी बचाई थी, शायद आप लोगों को पता नहीं होगा.'' मुख्यमंत्री शिवराज ने आगे अपने साथ हुई हादसे की पूरी कहानी बयां की. 


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जब मुख्यमंत्री शिवराज हुए थे सड़क हादसे के शिकार
उन्होंने कहा, ''आज मैं आपको बताना चाहता हूं, एक बार जब मैं सांसद था तो सुरौन से वापस लौट रहा था, सबेरे-सबेरे 4 बजे के आसपास. मेरी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया. मैं बुरी तरह घायल हो गया. आठ जगह से मेरा शरीर टूट गया, पता है कि नहीं वीरेंद्र? अब हालत ये थी कि कौन मदद करे. इमलिया गांव के पास हुआ था एक्सीडेंट. जब गांव वालों को पता चला तो वे सुबह 4 बजे उठकर दौड़े आए. हॉस्पिटल ले जाने के लिए बड़ी गाड़ी नहीं थी तो मोटरसाइकिल ले लाए, फिर ट्रैक्टर ले आए.''



मुंबई के अस्पताल में 48 दिन भर्ती रहे थे CM शिवराज
मुख्यमंत्री ने आगे बताया, ''मेरे तो हाथ पांव पूरे बराबर हो गए थे, टूट गए थे. इमलिया वाले मुझे ट्रैक्टर से विदिश अस्पताल ले गए. वहां प्रारंभिक इलाज हुआ फिर मैं भोपाल आया. उसके बाद फिर हाथ पांव जुड़वाने बंबई जाना पड़ा और वहां अस्पताल में मैं भर्ती रहा 48 दिन. तब जब चलते थे लोग तो मैं सोचता था काश मैं भी कभी चल पाता. ये बात है 1998-99 की.''


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विदिशा से पांच बार के सांसद रहे हैं शिवराज चौहान
आपको बता दें कि शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री बनने से पहले विदिश लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से लगातार 5 बार के सांसद रह चुके हैं. उन्होंने 1991 से 2004 तक विदिशा से लोकसभा के 5 चुनाव जीते. वह 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. राज्य के मुखिया के तौर पर यह उनका चौथा कार्यकाल है. इसके पहले वह लगातार तीन कार्यकाल जीतकर सीएम बने थे. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और शिवराज का सीएम टर्म ब्रेक हुआ. हालांकि 15 महीने बाद ही वह फिर से सीएम बन गए.


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