जबलपुरः मध्य प्रदेश के कई शहरों में दिवाली से पहले ही ठंड ने दस्तक दे दी है. यहां प्रदेश के जबलपुर में भी पिछले चार दिनों से लगातार 1 डिग्री पारा नीचे गिरा है. यहां रात का न्यूनतम पारा 16.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है. इसके अलावा भी प्रदेश के शिवपुरी, श्योपुर और मुरैना में हल्की बारिश हो चुकी है. जिसने प्रदेश में ठंड के आने का संदेश दिया था.


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कड़ाके की ठंड वाले पांच क्षेत्र
वैसे तो ठंड का आते ही शिमला और कुल्लू का नाम दिमाग में आता है, लेकिन मध्य प्रदेश में भी कई स्थान ऐसे हैं, जहां जमकर ठंड गिरती है. इनमें पचमढ़ी हिल स्टेशन का नाम तो पूरे देश में प्रसिद्ध है. इसके अलावा भी राज्य के खजुराहो, दतिया, नौगांव और ग्वालियर के इलाके में कड़ाके की ठंड पड़ती है. यहां तक प्रदेश के इन चार क्षेत्रों में पचमढ़ी से भी ज्यादा ठंड होती है.   


मध्य प्रदेश के चार शहर तो ऐसे भी हैं जिन्होंने देश के 10 सबसे ठंडे शहरों में जगह बनाई हुई है. इनमें प्रदेश का दतिया, सागर, गुना और ग्वालियर देश के 10 सबसे ठंडे शहरों में शामिल है. 


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क्या कहता है मौसम विभाग का डेटा?
मौसम विभाग के मुताबिक प्रशांत महासागर में ला-निना प्रभाव के चलते नवंबर-दिसंबर के समय मध्य प्रदेश में जबरदस्त ठंड पड़ने के आसार हैं. इससे अगले दो महीनों में उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश के साथ ही जबरदस्त बर्फबारी हो सकती है. इससे उत्तर से आने वाली हवाएं सर्दी बढ़ाएंगी. 


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ये है अल-निनो और ला-निना
अल नीनो का अर्थ होता है शिशु या बालक, जो स्पैनीश भाषा से लिया गया है. यह समुद्र में होने वाली उथल-पुथल है और इससे समुद्र के सतही जल का ताप सामान्य से ज्यादा हो जाता है. यह दक्षिण-पश्चिम मानसून पर विपरीत प्रभाव डालता है. वहीं ला-निना इसके ठीक विपरित है, इसके कारण समुद्री सतह का तापमान पूर्वी प्रशांत महासागर के सामान्य तापमान से कम होना होता है. इसका प्रभाव भी भूमध्य रेखीय एवं उप भूमध्य रेखीय क्षेत्र में पड़ता है. 


इससे नवंबर-दिसंबर माह में उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात के साथ जबरदस्त बर्फबारी होगी. पहाड़ों पर बर्फ जमने उत्तरी यानी हिमालय से आने वाली हवाएं भी बेहद ठंडी होगी, जो इस बार प्रदेश में बढ़ने वाली ठंड की ओर इशारा कर रही है. 


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