Mahakumbh Prayagraj News: उत्तर प्रदेश में 2025 के महाकुंभ मेले को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. संत समाज ने मांग की है कि महाकुंभ के 50 किलोमीटर के दायरे में मुसलमानों की एंट्री पर रोक लगाई जाए. इस संबंध में संतों ने यूपी सरकार को ज्ञापन भी सौंपा है. उनका कहना है कि कुंभ की पवित्रता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए यह कदम जरूरी है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

संतों की 'थूक जिहाद' और 'पेशाब जिहाद' पर चिंता


अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव जितेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि कुंभ में आने वाले हर व्यक्ति पर भरोसा करना संभव नहीं है. उन्होंने 'थूक जिहाद' और 'पेशाब जिहाद' जैसी कथित घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि महाकुंभ की पवित्रता को बरकरार रखने के लिए यह रोक जरूरी है. संतों ने यह भी सुझाव दिया कि कुंभ मेले के 50 किलोमीटर के क्षेत्र में किसी नए व्यक्ति को दुकान लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.


मुस्लिम समुदाय की ओर से विरोध


संत समाज की इस मांग का मुस्लिम संगठनों ने कड़ा विरोध किया है. मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसे गंगा-जमुनी तहजीब और आपसी भाईचारे के खिलाफ बताया है. संभल की बड़ी मस्जिद के मुतवल्ली बदरे आलम और चंदोसी के इमाम मौलाना मोहम्मद नाजिम ने इस मांग को गलत ठहराया है और कहा कि यह एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए नुकसानदेह है.


राजनैतिक प्रतिक्रियाएं भी हुईं तेज


महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री रोकने की मांग पर विपक्षी दलों ने भी प्रतिक्रिया दी है. कई नेताओं ने कहा कि इस तरह की मांगें मुस्लिम समुदाय के आर्थिक हितों पर असर डालेंगी. उनका तर्क है कि प्रयागराज के मुस्लिम व्यापारी हर साल कुंभ के दौरान दुकानें लगाते हैं और इस रोक से उनका व्यवसाय प्रभावित होगा. वहीं, संत समाज इसे धार्मिक पवित्रता का मुद्दा बता रहा है.


कुंभ 2025 की तैयारियों में नई चुनौती


महाकुंभ 2025, जो कि 13 जनवरी से शुरू होने वाला है, को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. परंतु इस तरह के विवादों ने आयोजन के वातावरण को गर्मा दिया है. हालांकि, प्रशासन ने अब तक मुसलमानों की एंट्री बैन करने पर कोई आदेश जारी नहीं किया है. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार संत समाज की मांगों पर विचार करती है या नहीं.


क्या महाकुंभ में मिलेगी सबको समान भागीदारी?


फिलहाल इस विवाद के बावजूद प्रयागराज में मुस्लिम व्यापारियों में बेचैनी है. उन्हें उम्मीद है कि सरकार कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी जिससे उनकी रोज़ी-रोटी पर असर पड़े. वहीं, कुंभ जैसे पवित्र आयोजन में सबकी समान भागीदारी के सवाल पर विचार हो रहा है.