महाराष्ट्र: मंत्री तो बन गए लेकिन बदल दिए जाएंगे.. शिंदे-अजित ने अपने नेताओं को शर्त भी बता दी
Mahayuti government: शपथ ग्रहण होते ही एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने कुछ ऐसा कह दिया कि उनकी बातों से साफ हो गया कि उनके खुद के मंत्री ज्यादा दिन तक मंत्री नहीं रह पाएंगे अगर उन्होंने एक शर्त पूरी नहीं की. आखिर वो शर्त क्या है.
Maharashtra cabinet expansion: आखिरकार महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने रविवार को अपना मंत्रिमंडल विस्तार किया. 39 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली, जिसमें 19 भारतीय जनता पार्टी के, 11 एकनाथ शिंदे की शिवसेना के और 9 अजित पवार के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गुट के थे. शपथग्रहण समारोह राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र से ठीक एक दिन पहले नागपुर में राजभवन में आयोजित किया गया. राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने विधायकों को शपथ दिलाई. लेकिन इन सबके बीच एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने कुछ ऐसा कह दिया कि उनकी बातों से साफ हो गया कि उनके खुद के मंत्री ज्यादा दिन तक मंत्री नहीं रह पाएंगे अगर उन्होंने एक शर्त पूरी नहीं की. इसके बारे में आइए समझते हैं.
विभागों के आवंटन पर अभी भी सस्पेंस..
असल में मंत्रिमंडल में कुल 18 नए चेहरे शामिल किए गए, जिनमें बीजेपी से 7, शिवसेना से 5, और राकांपा से 6 नेता पहली बार मंत्री बने. हालांकि विभागों के आवंटन को लेकर सस्पेंस अभी बना हुआ है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि विभागों का वितरण अगले 2-3 दिनों में होगा. इस बीच, कुछ वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी से असंतोष भी सामने आया है. इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए महायुति में तय हुआ है कि मंत्रियों का कार्यकाल रोटेशनल होगा.
शिंदे-अजित की परफॉर्मेंस को लेकर साफ चेतावनी
हुआ यह कि शिवसेना सुप्रीमो और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने मंत्रियों को ढाई साल के कार्यकाल की सीमा तय करने को कहा है. साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि जो मंत्री अच्छा प्रदर्शन करेंगे, उन्हें ही आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. दूसरी ओर, अजित पवार ने अपने मंत्रियों को और भी सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले मंत्री ढाई महीने में ही हटा दिए जाएंगे. शिंदे ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के मंत्रियों को एक एफिडेविट पर हस्ताक्षर कराना होगा, जिसमें तय समय सीमा के प्रति उनकी सहमति होगी.
उधर फडणवीस ने दी संगठनात्मक भूमिका की संभावना
इन सबके बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बीजेपी के उन नेताओं के लिए संगठनात्मक भूमिकाओं की बात कही, जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार संविधान का सम्मान करते हुए महाराष्ट्र के तेजी से विकास के लिए काम करेगी. विपक्ष द्वारा सरकार को "ईवीएम की सरकार" कहने पर उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि यह सरकार हर वोट का सम्मान करती है और महाराष्ट्र की जनता ने इसे चुना है.
फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार के सियासी मायने
इस मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन और जातिगत समीकरणों का खास ध्यान रखा गया है. पश्चिम महाराष्ट्र से 9, उत्तर महाराष्ट्र से 8, विदर्भ से 7, मराठवाड़ा से 6, और मुंबई-ठाणे से 4 मंत्रियों को शामिल किया गया है. हालांकि, इस विस्तार के बाद शिवसेना और बीजेपी के कुछ विधायकों ने नाराजगी भी जताई है. मगर महायुति के नेता इसे संगठन और सत्ता के संतुलन के लिए जरूरी कदम बता रहे हैं.