Maharashtra Next CM: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद पर जारी बहस एकनाथ शिंदे की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद धीमी पड़ गई है. यह तय हो चुका है कि राज्य का मुख्यमंत्री भाजपा खेमे से ही होगा. शिंदे ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अड़चन नहीं बनेंगे.. बल्कि केंद्र के फैसले का समर्थन करेंगे. उन्होंने खुलकर कहा कि भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाए. लेकिन इस लंबी प्रेस वार्ता में शिंदे ने एक बार भी देवेंद्र फडणवीस का नाम नहीं लिया. शिंदे के फडणवीस का नाम नहीं लेने के पीछ कई वजह हो सकती है. या तो शिंदे, फडणवीस से नाराज चल रहे हैं. ये भी हो सकता है कि केंद्र फडणवीस की जगह किसी नए चेहरे को महाराष्ट्र का सीएम बना दे. भाजपा.. मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ऐसा कर चुकी है.


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शिंदे ने क्यों नहीं लिया फडणवीस का नाम?


महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर सस्पेंस के बीच कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपनी हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़ा बयान दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि अगला मुख्यमंत्री भाजपा का होगा और वे किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं बनेंगे. हालांकि, इस पूरे संवाद के दौरान शिंदे ने एक बार भी भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस का नाम नहीं लिया. यह सवाल खड़ा करता है कि क्या भाजपा महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के लिए फडणवीस के नाम को लेकर पुनर्विचार कर रही है.


भाजपा का सीएम मंजूर..


ठाणे में बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में एकनाथ शिंदे ने कहा, "मुझे पद की लालसा नहीं है. मैंने पीएम मोदी और अमित शाह से कहा है कि भाजपा की बैठक में जो भी नाम तय होगा, हमें स्वीकार है. हम सरकार बनाने में कोई स्पीड ब्रेकर नहीं बनेंगे." शिंदे ने यह भी कहा कि ढाई साल तक उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह का पूरा सहयोग पाया, और आगे भी केंद्र के हर फैसले का समर्थन करेंगे.


क्या देवेंद्र फडणवीस से नाराज हैं शिंदे?


प्रेस वार्ता के दौरान शिंदे ने देवेंद्र फडणवीस का जिक्र नहीं किया. इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिंदे, फडणवीस से नाराज हो सकते हैं या भाजपा आलाकमान महाराष्ट्र में फडणवीस के अलावा किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने पर विचार कर रही है. महायुति का सबसे प्रमुख चेहरा माने जाने वाले फडणवीस का नाम न लेना राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका रहा है.


भाजपा का 'सरप्राइज' देने का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड


भाजपा का इतिहास ऐसे फैसलों से भरा हुआ है जो पार्टी को नए सिरे से मजबूती देते हैं. मध्यप्रदेश में भाजपा आलाकमान ने शिवराज सिंह चौहान को हटाकर उनकी जगह मोहन यादव को सीएम बनाया था. इसी तरह राजस्थान में भाजपा ने वसुंधरा राजे की जगह भजनलाल को सीएम बनाकर सभी को चौंका दिया था. छत्तीसगढ़ में भी पार्टी ने रमन सिंह के बाद विष्णु देव साय को सीएम बनाकर सबको हैरान किया था. इन सियासी घटनाओं से साफ है कि भाजपा अपनी रणनीति में अचानक बदलाव कर सकती है और महाराष्ट्र में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिल सकता है.


शिंदे की भावनात्मक अपील और फडणवीस का जवाब


प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिंदे ने खुद को आम आदमी बताते हुए कहा, "मैंने कभी खुद को मुख्यमंत्री नहीं समझा. मैंने जनता के लिए काम किया, और यह उनकी विजय है."
फडणवीस ने बाद में कहा कि शिंदे के बयान से महायुति में मतभेद की सभी अटकलें खत्म हो गई हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नाम पर जल्द फैसला होगा.


भाजपा के पास विकल्प क्या हैं?


महाराष्ट्र में भाजपा के सामने दो प्रमुख विकल्प हैं. केंद्र एक बार फिर देवेंद्र फडणवीस पर भरोसा कर उन्हें मुख्यमंत्री बना सकती है. फडणवीस ने पहले भी इस पद पर रहते हुए प्रभावी नेतृत्व किया है. दूसरा, भाजपा के पास नए नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है, जो पार्टी को राज्य में नई ऊर्जा दे सकती है.


दिल्ली पर छोड़ा फैसला, क्या होगा 'खेला'?


शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बार कहा कि सब कुछ भाजपा आलाकमान के फैसले पर निर्भर है. यह स्पष्ट करता है कि महाराष्ट्र की राजनीति का अगला अध्याय दिल्ली में लिखा जाएगा. लेकिन क्या भाजपा महाराष्ट्र में अपना 'सरप्राइज' देगी? या फिर देवेंद्र फडणवीस को ही एक बार फिर से मौका मिलेगा? यह देखना बाकी है.


राजनीति में नया मोड़ आएगा?


महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही अटकलें अब भी जारी हैं. शिंदे की तरफ से फडणवीस का नाम न लेना और आलाकमान के फैसले पर जोर देना राज्य की राजनीति में बदलाव का संकेत हो सकता है. भाजपा का सरप्राइज देने का इतिहास इसे और दिलचस्प बनाता है. आगे का राजनीतिक घटनाक्रम न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश की राजनीति को प्रभावित करेगा.