OPINION: किसके गांधी? इस विमर्श में भी गांधी परिवार को काफी पीछे छोड़ चुके हैं नरेंद्र मोदी
PM Modi And Mahatma Gandhi: पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार को साबरमती आश्रम में थे. उन्होंने गांधी आश्रम मेमोरियल मास्टरप्लान का शुभारंभ किया. वह दांडी यात्रा (12 मार्च, 1930) की सालगिरह पर आयोजित एक समारोह में भी शामिल हुए.
PM Modi On Mahatma Gandhi: 'जो देश अपनी विरासत को संजोकर नहीं रखता, वह अपना भविष्य भी खो देता है.' साबरमती में महात्मा गांधी के आश्रम पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यह बात कही. मोदी 1,200 करोड़ रुपये की लागत से गांधी आश्रम मेमोरियल के मास्टरप्लान को लॉन्च करने आए थे. मोदी ने इस मौके पर कहा, 'बापू का साबरमती आश्रम न केवल देश के लिए, बल्कि पूरी मानव जाति के लिए एक धरोहर है.' बातों-बातों में वह पिछली सरकारों पर भी उंगली उठा गए. पीएम ने कहा कि आजादी के बाद बनी सरकारों में 'न तो राजनीतिक इच्छाशक्ति थी, न ही वैसी मानसिकता की देश की ऐसी धरोहरों को बचाया जाए.' कांग्रेस अक्सर मोदी और बीजेपी पर बापू की विरासत को 'हथियाने' का आरोप लगाती है. 2022 में राहुल गांधी ने कहा था कि 'सत्ता में बैठे लोगों के लिए महात्मा गांधी की विरासत को हथियाना आसान है, लेकिन उनके पदचिन्हों पर चलना मुश्किल है.' बापू किसके हैं? यह अब विमर्श का विषय रहा ही नहीं. मोदी उस मामले में नेहरू-गांधी परिवार से कहीं आगे निकल चुके हैं.
बापू की विरासत पर दावा करने वाला नेहरू-गांधी परिवार शायद कांग्रेस के लिए कही गई उनकी बात भूल गया. गांधी ने अपनी हत्या से एक दिन पहले लिखा था कि आजादी मिलने के साथ ही कांग्रेस का उद्देश्य पूरा हो चुका था. गांधी उस समय के कांग्रेस संगठन को खत्म करना चाहते थे. मोदी कई मौकों पर बापू की वह बात दोहरा चुके हैं. 2019 में संसद के भीतर मोदी ने कहा था, 'कांग्रेस मुक्त भारत मेरा स्लोगन नहीं है, मैं तो महात्मा गांधी जी की इच्छा पूरी कर रहा हूं.'
महात्मा गांधी कांग्रेस के नेता जरूर थे, मगर उनके लिए देश सर्वोपरि था. उनके लिए कांग्रेस भारत को स्वतंत्रता दिलाने करने का जरिया मात्र थी. आजादी के बाद कांग्रेस ने दशकों तक देश पर राज किया. भारत की मुद्रा पर गांधी का फोटो जरूर है लेकिन उनकी विरासत और आदर्श किताबों और सरकारी फाइलों में दबकर रह गए. गांधी जयंती और शहीद दिवस के मौके पर बापू को श्रद्धांजलि देकर इतिश्री कर ली जाती थी. गांधी के विचारों पर सेमिनार होते मगर जन-जन को बापू से जोड़ने की पुरजोर कोशिश नहीं हुई.
महात्मा गांधी के इर्द-गिर्द मोदी की राजनीति
प्रधानमंत्री बनने के काफी पहले से ही, मोदी ने गांधी की विरासत पर दावा करना शुरू कर दिया था. 2010 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, मोदी ने गांधीनगर में महात्मा मंदिर बनाने का फैसला किया. तब उन्होंने मंदिर के लिए गुजरात के हर गांव/कस्बे की मिट्टी कलश में भरकर लाने का आह्वान किया था.
मोदी बीजेपी कार्यकर्ताओं से बार-बार गांधी से सीख लेने को कहते रहे हैं. सितंबर 2013 में उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ता महाकुंभ में गांधी के बहाने 'कांग्रेस मुक्त भारत' का नारा दिया. तब उन्होंने कहा था, 'महात्मा गांधी की आखिरी इच्छा थी कि कांग्रेस को भंग कर दिया जाना चाहिए. उनके सपने को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है. देश को कांग्रेस की संस्कृति, गतिविधियों, भ्रष्टाचार और वंशवादी राजनीति से मुक्त करने के लिए, हमें अपने मतदान केंद्रों को कांग्रेस मुक्त बनाना होगा.'
2014 में मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो गांधी की याद में खानापूर्ति की जगह बड़े पैमाने पर कार्यक्रम शुरू किए गए. 27 मई, 2014 को जब मोदी साउथ ब्लॉक में प्रधानमंत्री का कार्यभार संभालने पहुंचे थे तो उन्हें किताबों की शेल्फ के बीच रखी गांधी की एक फोटो दिखाई दी. उन्होंने फोटो के आगे सिर झुकाया और कुछ देर मौन खड़े रहे. प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी उस पल की तस्वीर पर सोशल मीडिया में खूब चर्चा हुई.
गांधी की विरासत को सीधे जनता से जोड़ा
2 अक्टूबर, 2014 को गांधी जयंती के मौके पर एक तरह से नरेंद्र मोदी ने गांधी की विरासत को कांग्रेस से अलग करने की शुरुआत कर दी थी. 'स्वच्छ भारत' मिशन बापू के साफ-सफाई के आदर्श पर खरा उतरने के मकसद से लॉन्च हुआ था. कांग्रेस चाहकर भी उस कदम का विरोध नहीं कर सकी. स्वच्छ भारत को एक जन आंदोलन बनाकर, गांधी के जन्मदिन को बड़े पैमाने पर मनाकर, मोदी ने कांग्रेस नेतृत्व को मुश्किल में डाल दिया.
मोदी ने बड़े आक्रामक ढंग से गांधी को प्रिय रही खादी को प्रमोट किया. 'मन की बात' के कई एपिसोड्स में वह लोगों से खादी खरीदने और पहनने की अपील करते रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण हो या सामाजिक सुधार, मोदी ने बार-बार गांधी का जिक्र किया है. 2015 में पेरिस जलवायु सम्मेलन के ग्लोबल मंच पर मोदी ने कहा था, 'एक साथ मिलकर, हम एक ऐसी दुनिया की देखभाल करने के महात्मा गांधी के आह्वान पर खरा उतरेंगे जिसे हम नहीं देख पाएंगे.'
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर दो साल तक कार्यक्रम होते रहे. 30 जनवरी, 2019 को मोदी ने राष्ट्रीय नमक सत्याग्रह स्मारक, राष्ट्र को समर्पित किया. पीएम बनने के बाद, मोदी ने बापू के साबरमती आश्रम को भारतीय डिप्लोमेसी का सेंटर बना दिया है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से लेकर जापानी के पूर्व पीएम शिंजो आबे तक, बापू को श्रद्धांजलि देने के लिए साबरमती आश्रम का दौरा कर चुके हैं. वहां पहुंचने वाला हर विदेशी नेता चरखा जरूर चलाता है.
पिछले साल G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी बापू के विचारों को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया. मोदी ने G20 नेताओं के साथ राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी थी. G20 नेताओं ने जो साझा बयान जारी किया, उसे 'द राजघाट कंसेंसस' कहा गया.
कांग्रेस शायद कभी मोदी की नीयत भांप नहीं पाई. उसे लगता रहा कि मोदी बापू की विरासत को नष्ट करना चाहते हैं. जबकि मोदी उसी विरासत की नींव पर नया भारत बनाना चाहते हैं.