मुंबई : राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने मालेगांव ब्लास्ट (2008) की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। साध्वी की जमानत अर्जी पर सुनवाई पिछले सप्ताह ही पूरी हुई थी, जिसके बाद अदालत ने आज की तारीख मुकर्रर की थी। जांच एजेंसी ने पिछले महीने प्रज्ञा सिंह को क्लीन चिट दी थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उनकी जमानत याचिका का विरोध नहीं किया था।


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विशेष न्यायाधीश एसडी तेकाले ने बंद कमरे में हुई सुनवाई में याचिका खारिज की। अपने आवेदन में प्रज्ञा ने कहा था कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि विस्फोट में प्रयुक्त मोटरसाइकिल की मालिक वह थी लेकिन एक गवाह के अनुसार यह फरार आरोपी रामचंद्र कलसांगरा के पास थी।


उन्होंने याचिका में कहा कि कुछ गवाहों के बयान उन्हें फंसाने के लिए प्रयुक्त हुए थे लेकिन बाद में वे पलट गये और उन्होंने महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते द्वारा यातनाएं देने की शिकायत की थी। इससे पहले केन्द्रीय एजेंसी ने सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए 13 मई को दायर अपने आरोप पत्र में प्रज्ञा और पांच अन्य के खिलाफ सभी आरोप हटा लिये थे। ब्लास्ट में घायल निसार अहमद सैयद बिलाल ने हस्तक्षेप याचिका दायर करके उनकी याचिका का विरेाध किया था।


साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पिछले आठ साल से जेल में हैं। मामले की जांच कर रही एनआईए ने इसी साल दायर अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में साध्वी सहित 6 आरोपियों को क्लीन चिट दी है। उसके बाद साध्वी के वकील ने जमानत की अर्जी दी थी। साल 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट में सात लोगों की मौत हुई थी और 100 के करीब घायल हुए थे।


तत्कालीन जांच एजेंसी एटीएस ने जांच में पाया था कि बम लगाने के लिए जिस बाइक का इस्तेमाल किया गया था वो साध्वी के नाम पर थी। हालांकि साध्वी का कहना है कि धमाके के दो साल पहले से ही वह बाइक रामचंद्र कलसांगरा इस्तेमाल कर रहा था। रामचंद्र कलसांगरा फरार आरोपी है। साध्वी की गिरफ्तारी के बाद मामले में एक-एक कर 13 लोगों की गिरफ्तारी हुई जिसमें सेना के कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित सहित पूर्व मेजर रमेश उपाध्याय और दयानंद पांडे जैसे साधु संत भी हैं। एटीएस ने मामले में एक आरोपी राकेश धावड़े पर परभणी और जालना बम धमाकों में चार्जशीट दिखाकर मकोका लगाया था।


लेकिन एनआईए का कहना है कि राकेश धावड़े को पहले 2008 के मालेगांव बम धमाके में गिरफ्तार किया गया। फिर मकोका लगाने के इरादे से उसे परभणी और जालना बम धमाकों में आरोपी बनाकर चार्जशीट दायर की गई। एनआईए का तर्क है कि मामले पर मकोका नहीं बनता है और मकोका हटता है तो साध्वी के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक पर्याप्त सबूत नहीं है।