Mamata Banerjee On PM Face : विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन की चौथी बैठक से कल खबर आई थी कि TMC चीफ ममता बनर्जी और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने मोदी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को उतारने की बात कही. यह स्पष्ट रूप से 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ही कैंडिडेट के ऐलान की दिशा में बड़ी पहल थी. हालांकि खरगे ने इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि फोकस चुनाव जीतने पर होना चाहिए. हालांकि अब इसमें एक नई बात पता चली है. जी हां, कांग्रेस नेता पीजे जोसेफ ने अंदर की बात बताई है. उन्होंने बताया कि वास्तव में ममता ने खरगे का नाम नहीं लिया था, उन्होंने तो केवल संकेत दिया था कि अगर 'दलित पीएम' प्रोजेक्ट किया जाता है तो अलायंस के लिए अच्छा होगा. 


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ममता ने मीटिंग में कहा क्या


कांग्रेस नेता ने एएनआई से कहा, 'उन्होंने (ममता) ऐसा सुझाव नहीं दिया. बोलते समय ममता बनर्जी ने कहा कि अच्छा होगा अगर हम एक दलित प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट कर सकें. उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया. इस पर ज्यादा चर्चा भी नहीं हुई क्योंकि वह आखिर में बोल रही थीं.' 


आज तक दलित पीएम क्यों नहीं?


दरअसल, कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष 2024 के लिए भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे की 'काट' ढूंढ रहा है. अक्सर भाजपा की तरफ से आरोप लगाए जाते हैं कि कांग्रेस दलित और ओबीसी विरोधी है. वैसे भी मोदी से मुकाबले के लिए उतना अनुभवी कैंडिडेट ढूंढ पाना विपक्ष के लिए मुश्किल है. जब खरगे कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे तभी से कहा जाने लगा था कि 2024 में देश को दलित पीएम मिल सकता है. भाजपा ने ओबीसी वर्ग को साधने के लिए जिस तरह से फोकस किया है, विपक्ष को लग रहा है कि अगर वे दलित पीएम फेस लाते हैं तो थोड़ी बढ़त मिल सकती है. शायद ममता ने यही सोचकर चर्चा छेड़ी थी. वैसे भी मायावती जैसे दलितों के हितैषी बनने का दावा करने वाले नेता यह सवाल पूछते रहते हैं कि आज तक भारत को दलित प्राइम मिनिस्टर क्यों नहीं मिला? कल की बैठक में किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल नहीं था कि ममता क्या कहना चाह रही हैं.


कांग्रेस ने इस प्रस्ताव पर आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है. बाद में खरगे ने पत्रकारों से कहा कि अभी प्रधानमंत्री फेस के बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा, 'सबसे पहले, हम सभी को जीतना है, हमें सोचना चाहिए कि जीत के लिए क्या किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री कौन बनेगा, यह बाद में तय किया जाएगा. अगर सांसद कम हैं तो पीएम के बारे में बात करने का क्या मतलब है. सबसे पहले, अपनी संख्या बढ़ाने के लिए एक साथ आकर हम बहुमत लाने की कोशिश करेंगे. पहले हम जीतने की कोशिश करेंगे.'


क्या इसलिए राजी नहीं खरगे?


सूत्रों के हवाले से रिपोर्टों में कहा गया है कि खरगे ने इस आइडिया को ठुकरा दिया क्योंकि उन्होंने कभी दलित की जातिगत राजनीति नहीं की. वह हमेशा समानता के लिए खड़े हुए. वह गरीबों के लिए काम करते रहे हैं और कभी खुद को जाति के नेता के रूप में पेश नहीं किया. इस प्रस्ताव को ठुकराए जाने से उन अटकलों पर भी आंशिक रूप से विराम लगा जिसमें राहुल गांधी की ही चर्चा हो रही थी. 


खरगे के नाम पर लालू-नीतीश


विपक्षी गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री फेस के लिए खरगे का नाम जेडीयू और आरजेडी दोनों को पसंद नहीं आया. नीतीश कुमार और लालू यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए बिना ही बैठक से निकल गए. चौथी बैठक में विपक्षी दलों ने निर्णय लिया कि सीटों के बंटवारे की चर्चा तेज की जाएगी और साल के अंत यानी अगले कुछ दिनों में सहमति बना ली जाएगी. 


गठबंधन में खरगे का नाम उछला, उधर यूपी कांग्रेस की तरफ से मांग की गई कि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और प्रेसिडेंट खरगे भी राज्य से ही लोकसभा चुनाव लड़ें. फिलहाल उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की एकमात्र सांसद सोनिया गांधी हैं. वह रायबरेली सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने अमेठी सीट पर राहुल गांधी को हरा दिया था. प्रियंका गांधी ने पिछले विधानसभा चुनावों में आगे बढ़कर प्रचार अभियान का नेतृत्व किया लेकिन वह इसे वोटों में तब्दील नहीं कर पाईं. पार्टी को विधानसभा चुनाव में 403 में से केवल दो सीटों पर जीत मिली थी.