ई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM-Modi) ने 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित किया. ​इस दौरान पीएम ने कहा, 'एक साल में एक चुनौती आए या पचास, नंबर कम-ज्यादा होने से, वो साल, खराब नहीं हो जाता. भारत का इतिहास ही आपदाओं और चुनौतियों पर जीत हासिल कर, और ज्यादा निखरकर निकलने का रहा है.'


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पीएम ने कहा, 'इन सबके बीच, हमारे कुछ पड़ोसियों द्वारा जो हो रहा है, देश उन चुनौतियों से भी निपट रहा है. वाकई, एक-साथ इतनी आपदाएं, इस स्तर की आपदाएं, बहुत कम ही देखने-सुनने को मिलती हैं.'


पीएम ने कहा, 'अभी, कुछ दिन पहले, देश के पूर्वी छोर पर अम्फान तूफान आया, तो पश्चिमी छोर पर निसर्ग तूफान आया. कितने ही राज्यों में हमारे किसान भाई–बहन टिड्डी दल के हमले से परेशान हैं और कुछ नहीं, तो देश के कई हिस्सों में छोटे-छोटे भूकंप रुकने का ही नाम नहीं ले रहे हैं.'


पीएम ने कहा, 'सैकड़ों वर्षों तक अलग-अलग आक्रांताओं ने भारत पर हमला किया, लोगों को लगता था कि भारत की संरचना ही नष्ट हो जाएगी, लेकिन इन संकटों से भारत और भी भव्य होकर सामने आया.'


उन्होंने कहा, 'भारत में जहां एक तरफ बड़े-बड़े संकट आते गए, वहीं सभी बाधाओं को दूर करते हुए अनेकों-अनेक सृजन भी हुए. नए साहित्य रचे गए, नए अनुसंधान हुए, नए सिद्धांत गड़े गए, यानी संकट के दौरान भी हर क्षेत्र में सृजन की प्रक्रिया जारी रही और हमारी संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही.'


उन्होंने कहा, 'इसी साल में, देश नए लक्ष्य प्राप्त करेगा, नई उड़ान भरेगा, नई ऊंचाइयों को छुएगा. मुझे, पूरा विश्वास, 130 करोड़ देशवासियों की शक्ति पर है, आप सब पर है, इस देश की महान परम्परा है.'


पीएम ने कहा, 'भारत ने जिस तरह मुश्किल समय में दुनिया की मदद की, उसने आज शांति और विकास में भारत की भूमिका को और मजबूत किया है. दुनिया ने भारत की विश्व बंधुत्व की भावना को भी महसूस किया है. अपनी संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने के लिए भारत की ताकत और भारत के कमिटमेंट को देखा है.'


'भारत मित्रता दिखाना जानता है तो आंख में आंख डालकर जवाब देना भी'  


पीएम ने कहा, 'लद्दाख में भारत की भूमि पर, आंख उठाकर देखने वालों को, करारा जवाब मिला है. भारत, मित्रता निभाना जानता है, तो, आंख में आंख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है.'


उन्होंने कहा, 'लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है. पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मस्तक है. इन साथियों के परिवारों की तरह ही, हर भारतीय, इन्हें खोने का दर्द भी अनुभव कर रहा है.'


पीएम ने कहा, 'बिहार के रहने वाले शहीद कुंदन कुमार के पिताजी के शब्द तो कानों में गूंज रहे हैं. वो कह रहे थे, अपने पोतों को भी, देश की रक्षा के लिए, सेना में भेजूंगा. यही हौसला हर शहीद के परिवार का है. वास्तव में, इन परिजनों का त्याग पूजनीय है.'


उन्होंने कहा, 'भारत-माता की रक्षा के जिस संकल्प से हमारे जवानों ने बलिदान दिया है, उसी संकल्प को हमें भी जीवन का ध्येय बनाना है, हर देश-वासी को बनाना है. हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे, सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने. यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी.'


पीएम ने कहा, 'कोई भी मिशन जन-भागीदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता है. इसीलिए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक नागरिक के तौर पर हम सबका संकल्प, समर्पण और सहयोग बहुत जरूरी है. आप Local खरीदेंगे, Local के लिए Vocal होंगे. ये भी एक तरह से देश की सेवा ही है.'


पीएम ने कहा, 'भारत का संकल्प है, भारत के स्वाभिमान और संप्रभुता की रक्षा. भारत का लक्ष्य है, आत्मनिर्भर भारत. भारत की परंपरा है भरोसा और मित्रता. भारत का भाव है बंधुता. हम इन्हीं आदर्शों के साथ आगे बढ़ते रहेंगे.'


'लॉकडाउन से ज्यादा सतर्कता अनलॉक के दौरान बरतनी होगी'


पीएम ने कहा, 'लॉकडाउन से ज्यादा सतर्कता हमें अनलॉक के दौरान बरतनी है. इस बात को हमेशा याद रखिए कि अगर आप मास्क नहीं पहनते हैं, दो गज की दूरी का पालन नहीं करते हैं, या फिर, दूसरी जरुरी सावधानियां नहीं बरतते हैं, तो, आप अपने साथ-साथ दूसरों को भी जोखिम में डाल रहे हैं.'


पीएम ने कहा, 'कोरोना के संकट काल में देश लॉकडाउन से बाहर निकल आया है. अब हम अनलॉक के दौर में हैं. अनलॉक के इस समय में, दो बातों पर बहुत फोकस करना है. कोरोना को हराना और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना, उसे ताकत देना.'


उन्होंने कहा, 'अनलॉक के दौर में बहुत सी ऐसी चीजें भी अनलॉक हो रही हैं, जिनमें भारत दशकों से बंधा हुआ था. वर्षों से हमारा माइनिंग सेक्टर लॉकडाउन में था. कॉमर्शियल ऑक्शन को मंजूरी देने के एक निर्णय ने स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है.'


पीएम ने कहा, 'अपने कृषि क्षेत्र को देखें, तो, इस सेक्टर में भी बहुत सारी चीजें दशकों से लॉकडाउन में फंसी थीं. इस सेक्टर को भी अब अनलॉक कर दिया गया है. इससे जहां एक तरफ किसानों को अपनी फसल कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की आजादी मिली है. वहीं, दूसरी तरफ, उन्हें अधिक ऋण मिलना भी सुनिश्चित हुआ है, ऐसे, अनेक क्षेत्र हैं जहां हमारा देश इन सब संकटों के बीच, ऐतिहासिक निर्णय लेकर, विकास के नए रास्ते खोल रहा है.'


'कोरोना के दौरान मिरेम गांव ने अनोखा कार्य कर दिखाया'


पीएम ने कहा, 'अरुणाचल प्रदेश की एक ऐसी ही प्रेरक कहानी, मुझे मीडिया में पढ़ने को मिली. यहां, सियांग जिले के मिरेम गांव ने वो अनोखा कार्य कर दिखाया, जो समूचे भारत के लिए, एक मिसाल बन गया है. इस गांव के कई लोग, बाहर रहकर, नौकरी करते हैं. गांव वालों ने देखा कि कोरोना महामारी के समय, ये सभी, अपने गांव की ओर लौट रहे हैं. ऐसे में, गांव वालों ने, पहले से ही गांव के बाहर क्वारंटाइन का इंतजाम करने का फैसला किया. उन्होंने, आपस में मिलकर, गांव से कुछ ही दूरी पर, 14 अस्थायी झोपड़ियां बना दीं, और ये तय किया, कि, जब, गांव वाले लौटकर आएंगे तो उन्हें इन्हीं झोपड़ियों में कुछ दिन क्वारंटाइन में रखा जाएगा. उन झोपड़ियों में शौचालय, बिजली-पानी समेत, दैनिक जरुरत की हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराई गई. जाहिर है, मिरेम गांव के लोगों के इस सामूहिक प्रयास और जागरूकता ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया.'


पीएम ने कहा, 'जैसे कपूर, आग में तपने पर भी अपनी सुगंध नहीं छोड़ता, वैसे ही अच्छे लोग आपदा में भी अपने गुण, अपना स्वभाव नहीं छोड़ते. आज, हमारे देश की जो श्रमशक्ति है, जो श्रमिक साथी हैं, वो भी, इसका जीता जागता उदाहरण हैं.'


पीएम ने कहा, 'यूपी के बाराबंकी में गांव लौटकर आए मजदूरों ने कल्याणी नदी का प्राकृतिक स्वरूप लौटाने के लिए काम शुरू कर दिया. नदी का उद्धार होता देख, आस-पास के किसान, आस-पास के लोग भी उत्साहित हैं.'


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उन्होंने कहा, 'गांव में आने के बाद, क्वारंटाइन में रहते हुए, आइसोलेशन में रहते हुए, हमारे श्रमिक साथियों ने जिस तरह अपने कौशल्य का इस्तेमाल करते हुए अपने आस-पास की स्थितियों को बदला है, वो अद्भुत है.'


उन्होंने कहा, 'मुझे विश्वास है, साथियों, कि आपके गांव में भी, आपके आस-पास भी, ऐसी अनेक घटनाएं घटी होंगी. अगर, आपके ध्यान में ऐसी बात आई है, तो, आप, ऐसी प्रेरक घटना को मुझे जरूर लिखिए.'


पीएम ने कहा, 'हमारे देश में पारम्परिक खेलों की बहुत समृद्ध विरासत रही है. कहा जाता है कि यह खेल दक्षिण भारत से दक्षिण-पूर्व एशिया और फिर दुनिया में फैला है. आज हर बच्चा सांप-सीढ़ी के खेल के बारे में जानता है. लेकिन, क्या आपको पता है कि यह भी एक भारतीय पारंपरिक खेल का ही रूप है, जिसे मोक्ष पाटम या परमपदम कहा जाता है.'


इनडोर खेलों के लिए बहुत साधनों की जरूरत नहीं


उन्होंने कहा, 'आमतौर पर हमारे यहां इनडोर खेलों में कोई बड़े साधनों की जरूरत नहीं होती है. कोई एक चॉक या पत्थर ले आता है, उससे जमीन पर ही कुछ लकीरे खींच देता और फिर खेल शुरू हो जाता है. जिन खेलों में डाइस की जरूरत पड़ती है, कौड़ियों से या इमली के बीज से भी काम चल जाता है.'


पीएम ने कहा, 'साथियों, मुझे मालूम है, आज, जब मैं ये बात कर रहा हूं, तो, कितने ही लोग अपने बचपन में लौट गए होंगे, कितनों को ही अपने बचपन के दिन याद आ गए होंगे. मैं यही कहूंगा कि उन दिनों को आप भूले क्यों हैं? उन खेलों को आप भूले क्यों हैं?'


पीएम ने कहा, 'मेरा, घर के नाना-नानी, दादा-दादी, घर के बुजुर्गों से आग्रह है, कि, नई पीढ़ी में ये खेल आप अगर ट्रांसफर नहीं करेंगे तो कौन करेगा! जब ऑनलाइन पढ़ाई की बात आ रही है, तो बैलेंस बनाने के लिए, ऑनलाइन खेल से मुक्ति पाने के लिए भी, हमें, ऐसा करना ही होगा.'


पीएम ने कहा, 'हमारी युवा पीढ़ी के लिए भी, हमारे स्टार्ट-अप्स के लिए भी, यहां, एक नया अवसर है, और, मजबूत अवसर है. हम भारत के पारम्परिक इनडोर गेम्स को नए और आकर्षक रूप में प्रस्तुत करें. मेरे बाल-सखा मित्रों, हर घर के बच्चों से, मेरे नन्हें साथियों से भी, आज, मैं एक विशेष आग्रह करता हूं.'


उन्होंने कहा, 'जब थोड़ा समय मिले, तो, माता-पिता से पूछकर मोबाइल उठाइए और अपने दादा-दादी, नाना-नानी या घर में जो भी बुजुर्ग हैं, उनका इंटरव्यू रिकॉर्ड कीजिए, अपने मोबाइल फोन में रिकॉर्ड करिए. आप, उनसे जरूर पूछिए, कि, बचपन में उनका रहन-सहन कैसा था, वो कौन से खेल खेलते थे, कभी नाटक देखने जाते थे, कभी खेत-खलियान में जाते थे, त्यौहार कैसे मानते थे, बहुत सी बातें आप उनको पूछ सकते हैं. इससे लोगों के तौर-तरीके क्या थे, सब चीजें, बहुत आसानी से, आपको, सीखने को मिलेंगी.'


उन्होंने कहा, 'देश के एक बड़े हिस्से में, अब, मानसून पहुंच चुका है. इस बार बारिश को लेकर मौसम विज्ञानी भी बहुत उत्साहित हैं. बारिश अच्छी होगी तो हमारे किसानों की फसलें अच्छी होंगी, वातावरण भी हरा-भरा होगा. बारिश के मौसम में प्रकृति भी जैसे खुद को फिर से युवा कर लेती है.'


पीएम मोदी ने कहा, 'मानव, प्राकृतिक संसाधनों का जितना दोहन करता है, प्रकृति एक तरह से, बारिश के समय, उनकी भरपाई करती है, रीफिलिंग करती है. लेकिन, ये रीफिलिंग तभी हो सकती है जब हम भी इसमें अपनी धरती-मां का साथ दें, अपना दायित्व निभाएं.'


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भूतपूर्व प्रधानमंत्री पी. वी नरसिम्हा राव को श्रद्धांजलि


पीएम ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियों, आज 28 जून को भारत अपने एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दे रहा है, जिन्होंने एक नाजुक दौर में देश का नेतृत्व किया. हमारे, ये, पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी नरसिम्हा राव का आज जन्म-शताब्दी वर्ष की शुरुआत का दिन है.'


पीएम ने कहा, 'नरसिम्हा राव अपनी किशोरावस्था में ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए थे. छोटी उम्र से ही नरसिम्हा राव अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने में आगे थे. अपनी आवाज बुलंद करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ते थे.'


पीएम ने कहा, 'मेरा आग्रह है, कि नरसिम्हा राव के जन्म-शताब्दी वर्ष में, आप सभी लोग, उनके जीवन और विचारों के बारे में, ज्यादा-से-ज्यादा जानने का प्रयास करें. मैं, एक बार फिर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.'


उन्होंने कहा, 'वे, एक ओर भारतीय मूल्यों में रचे-बसे थे, तो दूसरी ओर, उन्हें पाश्चात्य साहित्य और विज्ञान का भी ज्ञान था. वे, भारत के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक थे.'


पीएम ने कहा, 'हम, सब-मिलकर आगे बढ़ेंगे, और आने वाले दिन और भी सकारात्मक होंगे, जैसा कि, मैंने, आज शुरू में कहा, हम, इसी साल यानी 2020 में ही बेहतर करेंगे, आगे बढ़ेंगे और देश भी नई ऊंचाइयों को छुएगा.'