आम चुनाव खत्म होने के बाद महाराष्ट्र में आरक्षण की आग फिर सुलगाने की चेतावनी देने वाले मनोज जरांगे एक बार फिर सरकार पर बरसे. मराठा आरक्षण कार्यकर्ता जरांगे ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार पर मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. जरांगे ने छत्रपति संभाजीनगर स्थित एक अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद एक मराठी चैनल से बात करते हुए कहा कि सरकार में 8-9 लोग हैं, जो मराठा समुदाय से नफरत करते हैं और उनके नाम सही समय पर सार्वजनिक होंगे. 


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मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश


उन्होंने कहा कि सरकार मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच दरार पैदा करने के लिए नए नेताओं को आगे ला रही है और अन्य को किनारे कर रही है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ओबीसी कोटा कम न करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों की कोई गलती नहीं है. ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हेक और नवनाथ वाघमरे 13 जून से जालना जिले में अनशन कर रहे हैं और उनकी मांग है कि सरकार मसौदा अधिसूचना को रद्द करे, जो कुनबी को मराठों के रक्त संबंधियों के तौर पर मान्यता देती है. 


चुनाव से पहले शिंदे सरकार को चेतावनी


कृषक कुनबी समुदाय को राज्य में ओबीसी का दर्जा प्राप्त है. जरांगे मसौदा अधिसूचना का क्रियान्वयन और सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाणपत्र चाहते हैं, जिससे वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र बनेंगे. जरांगे ने कहा मराठा समुदाय गांवों में समुदायों के बीच तनाव को बढ़ने नहीं देगा.  उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे में जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में कुछ महीने बचे हैं और मराठा समुदाय उन लोगों को (राजनीतिक रूप से) डुबो देगा, जो दो सामाजिक समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. 


जरांगे ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि राज्य सरकार का यह रुख कि मराठा आरक्षण अधिसूचना में 'रक्त संबंधी' शब्द को शामिल करना कानूनी पड़ताल में टिक नहीं पाएगा, यह दर्शाता है कि वह इस तरह के प्रावधान के खिलाफ है. इससे पहले, मंत्री गिरीश महाजन ने कहा था कि जरांगे मराठों के रक्त संबंधियों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं, जिनके पास कुनबी जाति प्रमाण पत्र है, लेकिन अगर इसे अदालत में चुनौती दी जाती है, तो यह टिक नहीं पाएगा. 


सर्वे के नतीजों पर चुनाव लड़ने का फैसला


जरांगे ने शुक्रवार को कहा कि सरकार सच नहीं बोल रही है. उन्होंने केवल संविधान और कानून विशेषज्ञों को (आरक्षण के लिए) बुलाया और अब कह रहे हैं कि यह टिक नहीं पाएगा. जरांगे ने कहा कि वे छह चरणों में सर्वेक्षण कर रहे हैं और इसके नतीजों के आधार पर वे तय करेंगे कि आगामी राज्य चुनावों में उम्मीदवार उतारे जाएं या नहीं. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव अक्टूबर में होने हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सभी राजनीतिक दलों के मराठा नेताओं को अपने-अपने जिलों में समुदाय द्वारा आयोजित रैलियों में शामिल होना चाहिए. अगर वे नहीं आते हैं, तो मराठा समुदाय उन्हें चुनावों में गिरा देगा. 


जरांगे पर दोहरी बात करने का आरोप


पिछले नौ दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हेक ने पलटवार करते हुए जरांगे पर दोहरी बात करने का आरोप लगाया. हेक लिखित में यह वादा करने की मांग रहे हैं कि मराठा समुदाय को समायोजित करने के लिए ओबीसी आरक्षण कोटा कम नहीं किया जाएगा. हेक ने संवाददाताओं से कहा कि वह ओबीसी को भाई कहते हैं, लेकिन फिर हमारा विरोध करते हैं. उन्हें ओबीसी नेताओं को निशाना बनाना बंद करना चाहिए. मैं मराठा समुदाय के हर सवाल का तार्किक रूप से जवाब देने के लिए तैयार हूं. 


12 करोड़ लोगों में जहर फैलाने का आरोप


उन्होंने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता की इस चेतावनी को खारिज कर दिया कि वह विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेंगे, उन्होंने दावा किया कि अटल बिहारी वाजपेयी और इंदिरा गांधी भी हार गए थे, तो जरांगे कौन हैं. यह कहते हुए कि कोई महाराष्ट्र के 12 करोड़ लोगों के बीच जहर फैलाने की कोशिश कर रहा है. हेक ने कहा कि मराठा समुदाय को छत्रपति शिवाजी महाराज की नीति का पालन करना चाहिए, जो शांति, भाईचारे और सभी को साथ लेकर चलने पर आधारित थी. 


हेक ने जरांगे पर कटाक्ष करते हुए सवाल किया कि किसने लोगों से ओबीसी नेताओं को इस तरह हराने का आग्रह किया था कि अगली पांच पीढ़ियां चुनावों से दूर रहें. हेक ने दावा किया कि अब जरांगे कह रहे हैं कि दलितों और मुसलमानों को साथ लेकर चलना चाहिए. वे मुस्लिम-दलित वोट तो चाहते हैं, लेकिन इम्तियाज जलील, प्रकाश आंबेडकर, आनंदराज आंबेडकर जैसे नेताओं को जीतते नहीं देखना चाहते. अगर ओबीसी और वीजेएनटी एकजुट हो जाएं, तो जरांगे भूल जाएंगे कि राजनीति क्या होती है.