जयपुर: प्रसिद्ध मूर्तिकार पद्मश्री अर्जुन प्रजापति (Arjun Prajapati) का कोरोना संक्रमण से निधन हो गया है. अर्जुन प्रजापति 'क्लोनिंग के महारथी' कहे जाते थे. उनके द्वारा बनवाया गया 'माटी मानस' राजस्थान का पहला मूर्ति शिल्प संग्रहालय है. अर्जुन के निधन की खबर से विश्व के कला प्रेमियों में मायूसी है.


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अशोक गहलोत ने ट्वीट कर खेद जताया
अर्जुन प्रजापति के निधन पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने ट्वीट कर खेद जताया. सीएम ने लिखा, 'सुप्रसिद्ध मूर्तिकार, पद्मश्री सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित श्री अर्जुन प्रजापति के असामयिक निधन का समाचार अत्यंत दुखद है. जयपुर, राजस्थान के श्री प्रजापति ने मूर्तिकला को नए आयाम दिये एवं प्रदेश का मान देश-दुनिया में बढ़ाया.'



‘ऑल राउंडर’ थे अर्जुन प्रजापति
9 अप्रैल, 1957 को बालचन्दजी (Balchand) के घर जन्मे अर्जुन का 1972 में मूर्ति कला के प्रति प्रेम जागा. उनका बचपन जयपुर के परम्परागत मूर्ति मोहल्ले में बीता, जो खजाने वालों के रास्ते में है. अर्जुन ‘ऑल राउंडर’ थे, मार्बल, टेराकोटा, ब्रॉन्ज, प्लास्टर ऑफ पेरिस और फाइबर ग्लास में भी मूर्तियां बनाते थे. 


परंपरागत बणी-ठणी में अद्भुत मोडिफिकेशन
अर्जुन ने परंपरागत कला ‘बणी-ठणी’ को नया रूप प्रदान किया, जो देखने वालों के दिलों को जबरदस्त भाया. उसके बाद यह कला ‛अर्जुन की बणी-ठणी’ के नाम से जानी जाती है. उन्होंने इस मूर्ति कला से नारी के आकर्षक चेहरे और सुडौल शरीर में जिस सजीवता के साथ जान फूंकने की कारीगरी दिखलाई, वह कला समीक्षकों की नजर में इनकी कला साधना का उल्लेखनीय पहलू है. अर्जुन ने नारी के सौन्दर्य को उसकी संपूर्णता में उभारा और मूर्त रूप दे दिया. 


'क्लोनिंग के महारथी' अर्जुन प्रजापति 
अर्जुन भारत के पहले ऐसे मूर्तिकार हैं जो मात्र 20 मिनट में किसी को भी सामने बैठाकर उसका क्लोन तैयार कर देते थे. इसके चलते उन्हें ‘क्लोनिंग के महारथी’ के खिताब से नवाजा गया. अर्जुन खेल, कला जगत और सिनेमा से जुड़ी हजारों हस्तियों सहित ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स, मॉरिशस के सर नवीन चन्द्र रामगुलाम, अभिनेत्री मनीषा कोइराला, उद्घोषक पद्मश्री जसदेव सिंह, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, पद्मश्री पण्डित विश्वमोहन भट्ट आदि के क्लोन बना चुके हैं. अर्जुन के यूं चले जाने से उनके प्रशंसकों में मायूसी है. 


राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का क्लोन मात्र 20 मिनट में
अर्जुन ने अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (Bill Clinton) का क्लोन मात्र 20 मिनट में बनाकर दिखाया तो उन्होंने बदले में 20 मिनट तक माटी से सने अर्जुन के हाथों को अपने हाथों में थामे रखा था. उन्होंने पूछा कि अर्जुन इन उंगलियों में आखिर क्या खास है. इतना ही नहीं, बिल क्लिंटन ने अर्जुन को ‘मूर्तिकला का जादूगर’ का खिताब देकर भी सम्मानित भी किया.


'माटी मानस' राजस्थान का पहला मूर्ति शिल्प संग्रहालय
2004-05 के दौरान उन्हें एक दिन ख्याल आया कि क्यों न एक ऐसी आर्ट गैलरी बनाई जाए, जिसमें देश और राज्य का श्रेष्ठतम कला शिल्प संजोया जा सके. इसके बाद 2008 में ‘माटी मानस’ नाम की इस आर्ट गैलरी की नींव का पहला पत्थर भैरोंसिह शेखावत (Bhairo Singh Shekhawat) ने अपने हाथों से रखा. माटी मानस राजस्थान का पहला मूर्ति शिल्प संग्रहालय है. 


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पद्मश्री से सम्मानित 
देश के लगभग हर कला संग्रहालयों, होटलों, कला दीर्घाओं व प्रतिष्ठित चौराहों पर अर्जुन की 'मूर्ति कला' के नमूने देखे जा सकते हैं. रॉयल अल्बर्ट पैलेस, लंदन और यूएसए की इंडियन कल्चरल सोसाइटी में भी इनका मूर्ति शिल्प संजोया जा चुका है. अर्जुन प्रजापति को 7 अप्रैल, 2010 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने मूर्ति कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के चौथे नागरिक अलंकरण सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया.


कद्रदानों की लंबी सूची में बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स, मॉरिशस के सर रामगुलाम तक 
काम के कद्रदानों की लंबी सूची में बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स, मॉरिशस के सर रामगुलाम, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम, डॉ. शंकर दयाल शर्मा, ज्ञानी जैलसिंह, डॉ. केआर नारायणन्, पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर, इन्द्रकुमार गुजराल, प्रतिभा पाटील, मनमोहन सिंह, मदनलाल खुराना, एनसी जैन, बलराम भगत, एसके सिंह, जगदीश टाइटलर, रामनिवास मिर्धा, लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन, जगजीत सिंह, पण्डित जसराज, श्रीश्री रविशंकर, मोरारी बापू, राहुल द्रविड़, नवजोत सिंह सिद्धू, सोनिया गांधी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रभा राव, वसुन्धरा राजे, महाराजा करणसिंह आदि हैं.