Maulana Badruddin Ajmal's controversial statement on Hindus in Assam: असम में विवादित मुस्लिम नेता और AIUDF के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल (Maulana Badruddin Ajmal) ने हिंदू समुदाय के खिलाफ ऐसी बात कह दी है, जिससे राज्य के लोगों का गुस्सा भड़क उठा है. लोगों ने अजमल के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई है. वहीं सत्तारूढ बीजेपी ने अजमल की आलोचना करते हुए कहा, 'वह इस्लाम के लोगों के लिए एक 'मसीहा' की तरह काम करता है लेकिन वह वास्तव में एक शिकारी है.' 


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'हिंदू 40 साल से पहले रखते हैं 2-3 गैरकानूनी बीवियां'


असम (Hindus) के करीमगंज में एक कार्यक्रम में पहुंचे एआईयूडीएफ के अध्यक्ष और सांसद बदरुद्दीन अजमल (Maulana Badruddin Ajmal) ने कहा,' वो(हिंदू) 40 साल से पहले गैरकानूनी तरीके से 2-3 बीवियां रखते हैं. 40 साल के बाद उनमें बच्चा पैदा करने की क्षमता कहां रहती है. उनको मुसलमानों के फॉर्मूले को अपनाकर अपने बच्चों की 18-20 साल की उम्र में शादी करा देनी चाहिए.'


'40 साल के बाद नहीं रहती बच्चे पैदा करने की क्षमता'


मौलाना अजमल (Maulana Badruddin Ajmal) ने कहा, '40 साल की उम्र के बाद हिंदू (Hindus) अगर मां- बाप ने मजबूर किया या कहीं फंस गए तो शादी करते हैं. इस उम्र के बाद उनमें बच्चा पैदा करने की क्षमता कहां रहती है. हिंदुओं को मुसलमानों के फॉर्मूले को अपनाना चाहिए. अपने बच्चों की शादी 20-22 साल की उम्र में करवा दें. इसके बाद देखो कितने बच्चे पैदा होते हैं. जब आप उपजाऊ जमीन में बीज और दवा डालेंगे तो धान खूब अच्छा होगा, तरक्की ही तरक्की होगी.'



'हमें मुसलमानों से सीखने की जरूरत नहीं'


AIUDF अध्यक्ष के इस विवादित बयान पर बीजेपी भड़क गई है. बीजेपी विधायक दिगंत कलिता ने गुवाहाटी में कहा, 'आप मुसलमान हैं और हम लोग हिंदू हैं. क्या हमें आपसे सीखना पड़ेगा कि हम कैसे रहें? हमें मुसलमानों से सीखने की जरूरत नहीं है. ये भगवान राम और देवी सीता का देश है. यहां बांग्लादेशी लोगों का कोई स्थान नहीं है.अगर आपको ऐसा बयान देना है तो बांग्लादेश में जाकर दें. यहां हम आपको इसकी कतई इजाजत नहीं देंगे.' 


'शिकारी की तरह काम करता है मौलाना अजमल'


बीजेपी सांसद पबित्रा मार्गेरिता ने अजमल (Maulana Badruddin Ajmal) की आलोचना करते हुए कहा, 'ये शब्द असंवैधानिक हैं और सभ्य समाज में स्वीकार नहीं किए जाते हैं· वह असम और उत्तर पूर्व में अल्पसंख्यक लोगों विशेष रूप से इस्लाम के लोगों के लिए एक 'मसीहा' की तरह काम करता है लेकिन वह वास्तव में एक शिकारी की तरह काम करता है. सरकार को इस इस्लामी एजेंडा के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए. ऐसे लोगों को खुले में नहीं छोड़ा जा सकता.'


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