नई दिल्ली:  बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार (18 जुलाई) को राज्यसभा में सहारनपुर में दलित विरोधी हिंसा के मुद्दे पर आसन द्वारा उनको पूरी बात कहने की अनुमति नहीं दिये जाने के कुछ ही घंटों बाद उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. मायावती ने मंगलवार शाम राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से मिलकर उन्हें अपना त्यागपत्र सौंप दिया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उन्होंने त्यागपत्र देने के बाद कहा, ‘मैंने त्यागपत्र सौंपने के लिए सभापति से मुलाकात की. यह अच्छी बात नहीं है कि मेरे लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में बोलने नहीं दिया गया.. जब मैं बोलने के लिए खड़ी हुई तो सरकार ने मेरी बात पूरी नहीं होने दी. उनके सदस्य खड़े हो गये और हस्तक्षेप करने लगे. यह अच्छी बात नहीं है.’ 


राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि मायावती का इस्तीफा स्वीकार करने का निर्णय सभापति करेंगे. प्रारूप के अनुसार त्यागपत्र संक्षिप्त होना चाहिए और इसमें कारणों का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए.



इससे पहले राज्यसभा में मायावती ने जब बोलना शुरू किया तो उन्हें उपसभापति पी जे कुरियन ने नियमों के तहत बोलने को कहा. इससे अप्रसन्न बसपा प्रमुख ने कहा, ‘मैं आज राज्यसभा से इस्तीफा दे दूंगी.’ मायावती का राज्यसभा में वर्तमान कार्यकाल अगले वर्ष अप्रैल में समाप्त होगा.


मीडिया में वितरित उनके इस्तीफे में मायावती ने इस बात पर अफसोस जताया कि उन्हें दलितों के मुद्दे पर उच्च सदन में बोलने नहीं दिया गया. उन्होंने कहा, ‘जैसे ही मैंने अपनी बात सदन के समक्ष रखनी शुरू की, सत्ता पक्ष की ओर से उनके संसद सदस्यों के साथ मंत्रीगण भी खड़े हो गये तथा अवरोध उत्पन्न करने लगे.’



मायावती ने अपने त्यागपत्र में कहा, ‘माननीय सभापतिजी मुझे बड़े दुख के साथ इस्तीफा देने का यह फैसला लेना पड़ रहा है कि देश में सर्व समाज में खासकर जिन गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों व मुस्लिमों एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के हित व कल्याण के लिए मैंने अपनी पूरी जिन्दगी समर्पित की है और यदि मुझे इनके हित व कल्याण की बात सत्ता पक्ष के लोग अर्थात भाजपा व इनके राजग के लोग नहीं रखने देंगे तो मुझे ऐसी स्थिति में इस सदन में रहने का बिल्कुल औचित्य नहीं रहा है.’ 


उन्होंने इसी पत्र में कहा, ‘. मैं यह भी बताना चाहती हूं कि मैंने वर्ष 2003 में भी उत्तर प्रदेश में बसपा व भाजपा की मिली जुली सरकार में, अपनी पार्टी की विचारधारा एवं सिद्धान्तों में भाजपा का दखल होते देख लगभग 15 माह के भीतर ही अपने मुख्यमंत्री पद से और संयुक्त सरकार से इस्तीफा दे दिया था.’ उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में मायावती का वर्तमान कार्यकाल तीन अप्रैल 2012 से शुरू हुआ था.


और पढ़ें- सहारनपुर हिंसा पर संसद में बिफरीं मायावती, दी इस्तीफे की धमकी


‘ड्रामा’ है मायावती का इस्तीफा: भाजपा


भाजपा ने राज्यसभा से इस्तीफा देने पर मंगलवार (18 जुलाई) को बसपा सुप्रीमो मायावती को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उनका यह कदम ‘ड्रामा’ है, जिसका मकसद भावुकता पैदा कर ‘भ्रम’ पैदा करना है. भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव ने कहा कि लोग अब मायावती से गुमराह नहीं होने वाले.


पत्रकारों से बातचीत में यादव ने कहा कि मायावती जनाधार खो चुकी हैं और राज्यसभा में उनका छह वर्षों का कार्यकाल वैसे भी संसद के अगले सत्र में खत्म होना था. उन्होंने संकेतों में कहा कि मायावती ने ‘हताशा’ में यह कदम उठाया.


उन्होंने कहा कि मायावती को सदन में अपना मुद्दा उठाने के लिए आवंटित समय से दोगुना समय दिया गया और यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि उन्होंने उप-सभापति को उचित सम्मान नहीं दिया. राज्यसभा सांसद यादव ने कहा कि मुद्दे उठाते वक्त मायावती ने संसदीय गरिमा का पालन नहीं किया. उन्होंने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि उन्होंने इस्तीफा देना पसंद किया.


यादव ने कहा, ‘सवाल है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया ? वह जनाधार खो चुकी हैं . हो सकता है वह हताश हों. उनका कार्यकाल वैसे भी अगले सत्र में खत्म होने वाला था.’ उन्होंने कहा, ‘भ्रमित करने के लिए कुछ लोग ड्रामा करके राजनीति में भावुकता पैदा कर रहे हैं. लोग गुमराह नहीं होने वाले.’


राज्यसभा में हंगामे के बाद कांग्रेस ने भी वॉकआउट किया


कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ऑल पार्टी मीटिंग में हमने स्पष्ट बताया था कि विपक्ष हाउस की कार्यवाही में बाधा डालने में रुचि नहीं रखता. माननीय प्रधानमंत्री ने हमको आश्वासन दिया था कि वह(सरकार) बाधा नहीं डालेंगे, जिस विषय पर विपक्ष बात करना चाहेगा उस पर चर्चा होगी.


बता दें कि मायावती का राजयसभा सांसद के रूप में कार्यकाल वर्ष 2018 के अप्रैल माह में समाप्त हो रहा है. वहीं संख्या बल के लिहाज से उनकी दोबारा से सदन में एंट्री होगी, ऐसा संभव नहीं लग रहा है. यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा के केवल 19 विधायक ही जीत सके हैं. राज्यसभा में बसपा के मौजूदा सदस्यों की संख्या छह है.