MCD Election Voting:   देश की राजधानी दिल्ली की जनता रविवार को एक बार फिर से दिल्ली के एकीकृत यानी संयुक्त नगर निगम को वोट डाल रही है. दिल्ली के मतदाताओं को यह फैसला करना है कि वह नगर निगम में किस राजनीतिक दल को सत्ता में बैठाना चाहती है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दिल्ली नगर निगम का चुनाव वैसे तो हमेशा से ही हाई प्रोफाइल चुनाव माना जाता रहा है लेकिन इस बार का चुनाव अपने आप में काफी खास है. नतीजा चाहे जो भी आए, इसका दूरगामी राजनीतिक प्रभाव पड़ना तय है और यह सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि देश की राजनीति पर भी आने वाले दिनों में इसका असर साफ-साफ नजर आने वाला है. इसलिए दिल्ली की राजनीति के दोनों धुरंधर राजनीतिक दलों भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.


सबसे पहले बात, बीजेपी की करते हैं. दिल्ली विधान सभा के चुनाव में लगातार हार का सामना करने के बावजूद दिल्ली नगर निगम के चुनाव में बीजेपी एक तरह से अपराजेय बनी रही. अपनी लोकप्रियता के चरम पर पहुंचने के बावजूद न तो कांग्रेस की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित बीजेपी को हरा पाई और न ही अरविंद केजरीवाल हरा पाए.


2007 और 2012 के चुनाव
वर्ष 2007 से ही नगर निगम में बीजेपी की मजबूत पकड़ बनी हुई है. वर्ष 2007 में केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी और दिल्ली में कांग्रेस की ही शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थी लेकिन इसके बावजूद नगर निगम के चुनाव में दिल्ली की जनता ने बीजेपी को वोट किया. नगर निगम में बीजेपी की पकड़ को कमजोर करने के लिए 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों- उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में बांट दिया लेकिन इसके बावजूद 2012 में हुए नगर निगम के चुनावों में इन तीनों नगर निगमों में कांग्रेस को हराते हुए बीजेपी फिर से सत्ता में आ गई.


2017 में बीजेपी और आप में हुआ मुख्य मुकाबला
2017 में हुए पिछले चुनाव के दौरान केंद्र और दिल्ली, दोनों की सत्ता में बड़ा बदलाव आ चुका था. केंद्र में बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन की सरकार सत्ता में आ गई थी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन चुके थे वहीं दिल्ली में प्रचंड और ऐतिहासिक बहुमत के साथ अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे थे. 2017 में अरविंद केजरीवाल अपनी लोकप्रियता के चरम पर थे लेकिन इसके बावजूद तीनों नगर निगम चुनाव में लगातर तीसरी बार सत्ता हासिल कर बीजेपी ने यह साबित कर दिया कि नगर निगम चुनाव में उसे हरा पाना बहुत मुश्किल है.


बीजेपी के लिए क्यों अहम है यह चुनाव
2022 में बीजेपी जहां एक ओर एमसीडी चुनाव में जीत का चौका लगाकर एक बार फिर यह साबित करना चाहती है कि विधान सभा के चुनाव में दिल्ली की जनता भले ही उसे न जिताए लेकिन नगर निगम चुनाव में वह जनता की पहली पसंद बनी हुई है. इस बार की जीत बीजेपी कैडर में जोश भर देगी और इसका असर 2024 के लोक सभा चुनाव पर भी पड़ना तय है. आपको बता दें कि फिलहाल दिल्ली की सभी सातों लोक सभा सीटों पर बीजेपी का ही कब्जा है.


हर हाल में जीतना चाहती है आम आदमी पार्टी
वहीं आम आदमी पार्टी के लिए भी दिल्ली नगर निगम का यह चुनाव कई मायनों में बहुत खास हो गया है जिसे जीतना उनकी भविष्य की राजनीति के मद्देनजर काफी अहम माना जा रहा है.


राष्ट्रीय राजनीति में विस्तार की आकांक्षा पाले आम आदमी पार्टी को नगर निगम चुनाव में जीत के बूस्टर की जरूरत इसलिए बहुत ज्यादा है क्योंकि अगर आप बीजेपी को हरा कर यह चुनाव जीत जाती है तो उसे यह कहने का मौका मिल जाएगा कि बीजेपी को हराने की क्षमता कांग्रेस में नहीं बल्कि सिर्फ आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल में है.


दिल्ली की जीत जहां एक ओर राष्ट्रीय राजनीति में केजरीवाल का कद बढ़ाएगी तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के बीच उनकी स्वीकार्यता भी. ध्यान रखने वाली बात यह है कि, 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और देश के कई अन्य क्षेत्रीय दल लगातार सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास जरूर कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस ने अब तक इस विपक्षी एकता की प्रकिया से आप को अलग-थलग ही कर रखा है. इसलिए दिल्ली नगर निगम का यह चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए भी काफी अहम हो गया है.


बीजेपी पिछले कई वर्षों से दिल्ली नगर निगम और दिल्ली से आने वाली लोक सभा की सातों सीटों पर वर्चस्व बनाए हुए हैं लेकिन इस बार एमसीडी इलेक्शन के नतीजे का असर 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव में दिल्ली की सातों में से कुछ सीटों पर पड़ना भी तय माना जा रहा है. बीजेपी और आप, दोनों ही राजनीतिक दलों को एमसीडी चुनाव के नतीजों के दूरगामी राजनीतिक प्रभाव पड़ने का अंदाजा है इसलिए दोनों ही राजनीतिक दलों ने इस चुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं कांग्रेस के लिए यह चुनाव दिल्ली की राजनीति में अपने आप को पुनर्जीवित करने का चुनाव है.


(इनपुट - IANS)


पाठकों की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi - अब किसी और की जरूरत नहीं