Aaliya Mir Rescuing Snakes dangerous wildlife: जम्मू कश्मीर की एकमात्र महिला वन्यजीव रेस्क्यूअर (Kashmir's First Woman Wildlife Rescuer) आलिया मीर की पहचान कश्मीर की वादियों से निकलकर अब देश में हो गई है. बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी आलिया ने जब इस पेशे में उतरने का फैसला किया तो किसी को यकीन ही नहीं हुआ था. आलिया मीर (Aaliya Mir) बीते 17 साल से जंगली जानवरों को बचाने के साथ उनका पुनर्वास कर रही हैं. आलिया के काम का नाम देशभर की सुर्खियों में तब आया जब जम्मू कश्मीर सरकार ने उन्हें वन्यजीव संरक्षण के लिए उनकी असाधारण कोशिशों के लिए वन्यजीव संरक्षण पुरस्कार दिया गया. आलिया ये खिताब पाने वाली जम्मू कश्मीर (Jammu-Kashmir) की पहली महिला हैं.


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स्नेक लेडी के नाम से मशहूर आलिया के वीडियो होते हैं वायरल


कुछ साल पहले जंगली जानवरों को बचाने के उनके वीडियो वायरल होने के बाद आलिया की हैसियत अपने फील्ड की सेलिब्रेटी जैसी हो गई है.वो कश्मीर घाटी की पहली महिला वन्यजीव बचाव कर्मी होने के साथ वाइल्ड लाइफ एसओएस जम्मू और कश्मीर की कार्यक्रम प्रमुख भी हैं. आलिया सांप, भालू, पक्षी, तेंदुए और अन्य जानवरों को बचाती रही हैं. बगीचों, घरों, स्कूलों और सड़कों से सांपों को पकड़ने के उनके दर्जनों वीडियो वायरल हो चुके हैं इस तरह से इंटरनेट ने उन्हें कश्मीर की खूबसूरत वादियों के साथ अब पूरे देशभर में मशहूर करा दिया है.


पुरुषों वाले पेशे में बनाई पहचान


आलिया का कहना है कि पुरुष प्रधान पेशे में पहचान बनाने में उन्हें कभी भी मुश्किल नहीं आई. वन्य जीवों के प्रति लगाव और उनकी बेबाकी ने आलिया को नई पहचान दी. आलिया ने कहा,  'मेरी खुशकिस्मती है कि मैं सबसे अच्छी टीम का हिस्सा रही, जहां काम का माहौल उत्साहजनक था. टीम ने मुझे ये अहसास नहीं होने दिया कि मैं अकेली महिला हूं. काम का ऐसा माहौल पाकर मैं खुद को धन्य महसूस करती हूं. हर कोई सपोर्टिव था. बस एक चुनौती ये थी कि जब हम स्थानीय लोगों के बीच जाते तो वहां लोग महिलाओं से ज्यादा पुरुषों की बात सुनते. मेरा काम देखकर लोगों की सोच बदली, मैं शुक्रगुजार हूं कि मैं रूढ़िवादिता को तोड़ने और अपने समाज की धारणा को बदलने में कामयाब रही.'


पैरेंट्स चाहते थे बनूं डॉक्टर या टीचर: आलिया


आलिया साइंस और मैथ्स में पोस्ट ग्रैजुएट हैं. आलिया ने कहा, 'पैरेंट्स चाहते थे कि वो शिक्षक या डॉक्टर बनें. पर किस्मत से मेरी शादी वेटेनेरियन से हुई और उनके जरिए मुझे इस क्षेत्र को एक्सप्लोर करने का मौका मिला. मैंने वॉलेंटियर के तौर पर काम करना शुरू किया, तो मुझे ऐसा लगा कि वन्यजीवों को बचाना ही मेरी जिंदगी का मकसद और मंजिल है. मुझे मौके मिले और मैंने उनका बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया.'


मानवों और जानवरों में संघर्ष बढ़ा


आलिया ने कहा, '2022  में इंसानों और जंगली जानवरों में संघर्ष की घटनाओं में रिकॉर्ड इजाफा हुआ है. घाटी में इन घटनाओं के बढ़ने का मुख्य कारण तेजी से हुई शहरीकरण और यहां कूड़ा करकट का जमा होना है. हम पर्यटन के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हम इको टूरिज्म का समर्थन करते हैं. हमारे पर्यावरण में बहुत बड़ा बदलाव आया है, हमें पर्यटन को बेहतर तरीके से संभालने की जरूरत है. घाटी में भूरे भालू को देखना एक सपना था, लेकिन अब वो भी आम घटना बन गई है. आप कुछ कचरा बाहर डाल दें और आपको एक भूरा भालू दिख जाएगा. जंगली जानवर कचरे की ओर आकर्षित होते हैं. कचरे के ढ़ेर के पास कुत्तों को देखते ही तेंदुए आ जाते हैं.  इसलिए तेंदुए अब जंगलों में नहीं बल्कि शहरों में दिख रहे हैं.'


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