Rahul gandhi disqualified case: चार साल पुराने एक आपराधिक मानहानि में दो साल की सजा मिलने के बाद शुक्रवार को राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई है. लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना में बताया कि वायनाड (wayanad) लोकसभा सीट के सांसद राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने के दिन यानी 23 मार्च, 2023 से अयोग्य करार दिया जाता है. यानी राहुल गांधी को संसद की सदस्यता के अयोग्य करार (Rahul gandhi disqualified) दिया गया है. ये फैसला भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किया गया है. राहुल गांधी पहले नेता नहीं है जिन्हें अयोग्य करार दिया गया है. आइए ऐसे नेताओं की सूची पर एक नजर डालते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लंबी है माननीयों की सदस्यता खत्म होने की लिस्ट


इस लिस्ट में दिग्गज नेताओं के नाम भी शामिल हैं. उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक के ऐसे कई कद्दावर नेता रहे हैं, जिनके आचरणों की वजह से उन्हें अपनी सांसदी और विधायकी गंवानी पड़ी. जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत सजा मिलने के बाद देश में सबसे पहले काजी रशीद मसूद की राज्यसभा से सदस्यता को खत्म किया गया था. यह मामला नजीर बना तो सांसदी और विधायकी खत्म होने वालों की लाइन सी लगती जा रही है.


वर्ष 1951 के बाद से लोकसभा और राज्यसभा से 16 सांसदों की सदस्यता जा चुकी है. बता दें, 2005 में पैसे लेकर सवाल पूछने का मामला सामने आया था. जिसमें 11 सांसदों की सदस्यता गई थी. 


लालू यादव: सितंबर, 2013 में चारा घोटाले के एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की लोकसभा की सदस्यता चली गई थी. उस समय वह बिहार के सारण से सांसद थे.


पीपी मोहम्मद फैजल: लक्षद्वीप से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के सांसद पीपी मोहम्मद फैजल को जनवरी, 2023 में हत्या के प्रयास के एक मामले में 10 साल के कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद स्वत: ही उनकी सांसदी चली गई थी. हालांकि, केरल हाई कोर्ट ने बाद में फैजल की दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया. 


राशिद मसूद: यूपी से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद मसूद को 2013 में भ्रष्टाचार मामले में सजा सुनाए जाने के बाद सांसदी गंवानी पड़ी थी.


इंदिरा गांधी: देश की पूर्व प्रधानमंत्री और राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी को भी इसी तरह का एक झटका लगा था. वर्ष 1975 विशेषाधिकार हनन मामले में दोषी पाई जाने के बाद उनकी सदस्यता चली गई थी.


विधायकों की लिस्ट ज्यादा लंबी


जे.जयललिता: अन्नाद्रमुक की तत्कालीन प्रमुख जयललिता को आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में चार साल के कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद सितंबर, 2014 में तमिलनाडु विधानसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी थी. 


आजम खान: सपा नेता आजम खान को हेट स्पीच मामले में 2022 में सजा सुनाई गई थी. इसके बाद आजम खान को विधायकी से अयोग्य करार दिया गया था.


अबदुल्ला आजम: आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को भी 2022 में विधानसभा के लिए अयोग्य करार दिया गया है. सपा से विधायक रहे अब्दुल्ला को उम्र के बारे में गलत जानकारी देने के मामले में दोषी पाया गया था.


विक्रम सैनी: उत्तर प्रदेश से बीजेपी के विधायक, मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में साल 2022 में सजा सुनाई गई.


कुलदीप सिंह सेंगर: सेंगर को दुष्कर्म के एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद फरवरी, 2020 में उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था.


अशोक चंदेल: 2019 में हमीरपुर से बीजेपी के विधायक रहे अशोक कुमार सिंह चंदेल की विधानसभा सदस्यता गई थी. चंदेल को हाई कोर्ट ने हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी थी.


बजरंग सिंह: ये यूपी से बीजेपी विधायक थे, जिन्हें लाभ के बदले पद मामले में सजा सुनाई गई थी.


खब्बू तिवारी: उत्तर प्रदेश से बीजेपी विधायक, मार्कशीट फ्रॉड मामले में 2021 में सजा सुनाई गई.


प्रदीप चौधरी: कांग्रेस विधायक चौधरी को जनवरी, 2021 में हरियाणा विधानसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी थी. उन्हें हमले के एक मामले में तीन साल जेल की सजा सुनाई गई थी. वह कालका से विधायक थे.


अनंत सिंह: राजद विधायक अनंत सिंह को जुलाई, 2022 में बिहार विधानसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था. उन्हें उनके आवास से हथियार और गोला-बारूद जब्त होने से जुड़े मामले में दोषी करार दिया गया था.


जगदीश शर्मा: आरजेडी से विधायक शर्मा को भी लालू यादव के साथ 2013 में चारा घोटाला मामले में सजा सुनाई गई थी. 


राज बल्लभ यादव: आरजेडी से विधायक यादव को साल 2018 में रेप के मामले में सजा सुनाई गई थी.


अनिल कुमार सहनी: आरजेडी विधायक सहनी को जालसाजी के मामले में 2022 में सजा सुनाई गई थी. 


इलियास हुसैन: आरजेडी से विधायक रहे हुसैन को 2018 में भ्रष्टाचार केस में सजा सुनाई गई थी.


योगेंद्र महतो: कोयले की तस्करी मामले में जेएमएम विधायक योगेंद्र महतो को 2018 में दोषी ठहराया गया.


इनोस एक्का: झारखंड विधानसभा के सदस्य एक्का को 2018 में हत्या मामले में सजा सुनाई गई थी.


केके भगत: आजसू से विधायक भगत पर हत्या की कोशिश का आरोप था. 2015 में अदालत ने उन्हें दोषी मानते हुए सजा सुनाई. 


अमित महतो: झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक, हमले का दोषी पाया गया और 2018 में सजा मिली.


बंधु तिरके: कांग्रेस विधायक, 2022 में संपत्ति मामले में सजा


ए राजा: सीपीएम विधायक, 2023 में चुनाव धांधली मामले में सजा.


इस लिस्ट में और भी कई नाम है. लेकिन यूपी, बिहार, झारखंड, हरियाणा और तमिलनाडु की ये कुछ बड़ी हस्तियां थीं जिनकी उनके चुनावी क्षेत्र में तूती बोलती थी लेकिन कानून के आगे उन्हें भी झुकना पड़ा और उनकी सदस्यता समाप्त हो गई.


'अध्यादेश से राहुल गांधी बच सकते थे'


सितंबर, 2013 में राहुल गांधी ने एक ऐसे अध्यादेश को बेतुका कहा था जो अब उनकी सदस्यता पर मंडराए संकट से उन्हें बचा सकता था. उस वक्त यूपीए सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी जिसमें कहा गया था कि कुछ शर्तों के तहत अदालत में दोषी पाए जाने के बाद भी सांसदों और विधायकों को अयोग्य करार नहीं दिया जा सकेगा. राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी में उपाध्यक्ष थे. तब उन्होंने 'दागी सांसदों और विधायकों' पर लाए गए यूपीए सरकार के अध्यादेश को 'बेतुका' क़रार देते हुए कहा था कि इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए.


हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे