Battle Of Khanwa: भारत में मुगल शासन (Mughal Empire) की स्थापना बाबर (Babur) ने 1526 में लोदी वंश के सुल्तान इब्राहिम लोदी (Ibrahim Lodi) को हराने के बाद की थी. इसके कुछ महीनों बाद ही बाबर को एक और युद्ध लड़ना पड़ा था जो खानवा में हुआ था. खानवा के युद्ध (Battle Of Khanwa) में मुगल बादशाह बाबर और राजपूत राजा राणा सांगा (Rana Sanga) आमने-सामने थे. दिलचस्प बात ये है कि इस जंग में बाबर के खिलाफ राजपूत राजा राणा सांगा की तरफ से वो मुस्लिम भी लड़े थे जो मजहब से तो इस्लामी थे लेकिन वह परंपरा हिंदू फॉलो करते थे. बाबर के खिलाफ लड़ते-लड़ते इस समदाय के मुस्लिम राजा ने अपनी जान गंवा दी थी, लेकिन सिर नहीं झुकाया था. आइए इस मुस्लिम समुदाय और उसके राजा के बारे में जानते हैं.


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बाबर के खिलाफ लड़े ये मुस्लिम


बता दें कि 1527 में खानवा के युद्ध में राणा सांगा की तरफ से मेवाती मुस्लिम राजा हसन खान मेवाती ने लड़ाई लड़ी थी. इस मेवाती राजा का मजहब तो इस्लाम था लेकिन परंपरा से वह हिंदू था. ये हिंदू राजपूतों का वंशज था. मुस्लिम शासकों के काल में मेवाती समुदाय के लोगों के पूर्वज राजपूत से मुस्लिम तो बन गए लेकिन कभी अपनी हिंदू परंपराओं को नहीं छोड़ा. ये अपने पुराने रीति-रिवाज निभाते रहे. इन्हें मियो राजपूत और मियो मुस्लिम भी कहा जाता है.


देश में यहां रहते हैं मियो मुस्लिम


जान लें कि मियो राजपूत समुदाय के वंशज आज भी हरियाणा के मेवात में रहते हैं. ये लोग मेवाती भाषा बोलते हैं. 12वीं सदी से पहले ये लोग राजपूत थे. लेकिन मुस्लिम काल में 12वीं सदी से लेकर 17वीं शताब्दी तक इन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया और मुस्लिम बन गए, लेकिन कभी अपनी पुरानी परंपरा नहीं छोड़ पाए. इनके पूर्वजों ने समय-समय पर देश की अलग-अलग रियासतों पर राज किया.


हिंदू परंपरा का करते हैं पालन


दावा किया जाता है कि मियो मुस्लिम आज भी हिंदू परंपराओं को मानते हैं. इनके रीति-रिवाज जाट, गुर्जर और राजपूतों जैसे ही हैं. इस समुदाय के कुछ लोग आज भी अपनी चचेरी, फुफेरी और ममेरी बहनों से शादी नहीं करते हैं. हालांकि, इस्लाम में इसे जायज बताया गया है.


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