नई दिल्ली: वर्तमान समय में भारत में 13395 अल्पसंख्यक संस्थान चल रहे हैं.जिनमें यूनिवर्सिटी से लेकर कॉलेज, स्कूल और मदरसे शामिल है.इन संस्थाओं को अल्पसंख्यक संस्थान होंने का दर्जा NCMEI यानी नेशनल कमीशन फ़ॉर माइनोरिटी एजुकेशन इंस्टिट्यूशन देता है, जो 2004 में संसद के एक्ट से बनाई गई संस्था है. NCMEI के पिछले 15 साल के आंकड़े बताते है कि केरल अकेला ऐसा प्रदेश हैं, जहाँ 2004 के बाद सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक संस्थान खोले गए इन संस्थानों की संख्या 4659 है.


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जबकि उत्तरप्रदेश में अल्पसंख्यक संस्थानों की तादाद 3135 हैं.तमिलनाडु में 939, मध्यप्रदेश में 499, कर्नाटक में 699,  छत्तीसगढ़ में 232, आंध्रप्रदेश में 436 संस्थान इस वक़्त अल्पसंख्यक संस्थान के तौर पर चल रहे है.वही दिल्ली में 249, महाराष्ट्र में 199, वेस्ट बंगाल 697 और उत्तराखंड में 110 अल्पसंख्यक संस्थान हैं. इन संस्थानों में कई जानी मानी यूनिवर्सिटी, कॉलेज औऱ मदरसे भी शामिल है.


NCMEI जिस यूनिवर्सिटी या संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जे का सर्टिफिकेट देता है उसे ही अल्पसंख्यक संस्थान माना जाता है. मौजूदा दौर में देश में नौ यूनिवर्सिटीज को भी अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया हुआ है.जिन नौ यूनिवर्सिटीज को अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी होने का सर्टिफिकेट मिला हुआ है,


उसमें 3 यूनिवर्सिटीज डीम्ड है. वही जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी भी इसमें शामिल है, जिसके अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा हाईकोर्ट में है. हालाकि NCMEI ने नवंबर 2018 से अब तक सिर्फ 4 ही संस्थानों को अल्पसंख्यक संस्थान होने का सर्टिफिकेट दिया है.


इसको लेकर NCMEI के चयरमैन जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन कहते है, कि कोर्ट की गाइडलाइन के हिसाब से नियम ये है, कि अल्पसंख्यक संस्थान का सर्टिफिकेट लेने के लिए राज्य सरकार से एनओसी लेना जरूरी है.


वही राज्य सरकार को भी ये हक़ दिया गया है कि वो संस्थानो को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दे दे, अगर 90 दिनों के अंदर राज्य सरकार ऐसा नहीं करती तब हम अपील को सुनते है दरअसल अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्था की स्थापना करने और उसे संचालित करने का अधिकार दिया गया है.


अगर कही पर उन्हें ऐसा करने में दिक्कत आती है तो उनके अधिकारों के वंचन अथवा उल्लंघन के संबंध में विशिष्ट शिकायतों पर विचार करने के लिये भी NCMEI अधिकृत है. अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण संविधान के अनुच्छेद 30 में प्रतिष्ठापित है जिसमें कहा गया है कि “किसी भी धर्म अथवा भाषा के सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्था ओं की स्थापना करने एवं संचालन करने का अधिकार होगा”.