Missing Woman: कश्मीर में गुम हुई बंगाल की बेटी, जब मिला परिवार तो बन चुकी थी 3 बच्चों की मां
Bengal Woman In Kashmir: कश्मीर में एक दशक पहले लापता महिला ने कुछ समय पहले अपने एक रिश्तेदार की मदद से राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) का दरवाजा खटखटाया था और लंबे समय से बिछड़े अपने परिवार से मिलाने की प्रार्थना की थी लेकिन जब वो परिवार से मिली तब हुआ कुछ ऐसा की आप जानकर हैरान हो जाएंगे.
Missing Bengal woman: कश्मीर में एक दशक पहले लापता हुई पश्चिम बंगाल की एक महिला को पुलिस और रेडियो क्लब की मदद से उसके परिवार से मिला दिया गया है. यह बेहद खुशी का पल था. लापता होने के दौरान वह लड़की थी, अब एक महिला के रूप में मिली जो तीन बच्चों की मां है. गुमशुदा महिला शनिवार को बारामूला क्षेत्र के एक गांव में अपने परिवार से मिली. महिला के भाई हसन शेख ने मीडिया को फोन पर यह जानकारी दी. महिला ने कुछ समय पहले अपने एक रिश्तेदार की मदद से राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) का दरवाजा खटखटाया था और लंबे समय से बिछड़े अपने परिवार से मिलाने की प्रार्थना की थी.
पश्चिम बंगाल की थी महिला
NCW को लिखे पत्र में वह केवल इतना बता पाई कि वह पश्चिम बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र से है और उसके घर का निकटतम रेलवे स्टेशन जयनगर था. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि महिला आयोग ने लगभग एक महीने पहले स्थानीय पुलिस से संपर्क किया, जिसने पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब की मदद से महिला के परिवार से संपर्क किया और उन्हें महिला का संदेश दिया.
पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब के सचिव अंबरीश नाग विश्वास ने कहा कि बरुईपुर महिला थाने से प्रारंभिक जानकारी प्राप्त करने के बाद, हम कुलतली थाना क्षेत्र के देउलबाड़ी गांव में उसके परिवार का पता लगाने में सफल रहे. अंबरीश ने आगे कहा कि रेडियो क्लब के विशाल नेटवर्क और कुलतली थाने के कर्मियों ने हमें परिवार का पता लगाने में मदद की.
पुलिस ने की मदद
महिला के परिवार के पांच सदस्य, उसकी मां और भाई सहित, 14 जून को कश्मीर के लिए रवाना हुए और आखिरकार लगभग एक दशक के बाद शनिवार को उसके ससुराल में परिवार के सदस्य फिर से मिले. कुलतली थाने के एक अधिकारी ने कहा कि कई पुलिसकर्मियों ने पैसे का योगदान दिया और महिला के परिवार के लिए ट्रेन के टिकट खरीदे ताकि वे अपनी बच्ची से मिल सकें लेकिन उससे बात करना काफी मुश्किल काम था.
मातृभाषा भूल गई महिला
पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब के सचिव अंबरीश नाग ने बताया कि इन वर्षों में वह अपनी मातृभाषा भूल गई और अब बंगाली नहीं बोल सकती है. हमने एक कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान एक अनुवादक की मदद से उससे बात की. उन्होंने कहा कि शुरुआत में उसने हमसे बात करने से इनकार कर दिया क्योंकि हम उसके लिए अजनबी थे. कश्मीर में रेडियो क्लब के सदस्यों ने एक दिन एक स्थानीय एनजीओ के प्रतिनिधि को उसके घर भेजा. तब से हमारे लिए चीजें आसान हो गईं. उसके परिवार ने कहा कि कश्मीर में उसकी शादी के बाद से उसका संपर्क टूट गया था.
बेटी से मिला परिवार
हालांकि, रेडियो क्लब के सचिव ने कहा कि वह वहां एक रिश्तेदार के साथ गई थी, जो उसके बिना लौटा और परिवार को सूचित किया कि उसने वहां एक व्यवस्था की है जहां उसकी अच्छी देखभाल की जाएगी. बरुईपुर के एक अधिकारी ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि इतने साल तक उसका पता क्यों नहीं लग पाया, लेकिन हम खुश हैं कि एक परिवार अपनी बेटी के साथ फिर से मिल गया है, और इसमें हमारा एक छोटा सा योगदान है.
(इनपुट: एजेंसी)