आइजोल:  कोरोना वायरस के अलग अलग वेरिएंट संक्रमण के खतरे को बढ़ा रहे हैं. मिजोरम में कोरोना वायरस से संक्रमित 75 मरीजों में, इस वायरस के कम से कम तीन अलग-अलग वेरिएंट पाए गए हैं. इन मरीजों के नमूने सामान्य तौर पर ही चुने गए थे और इन्हें जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया था.


100 मरीजों के सैंपल की जांच


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राज्य के नोडल अधिकारी और कोविड-19 पर आधिकारिक प्रवक्ता डॉ. पचुआउ ललमालसाव्मा ने गुरुवार को बताया कि करीब 100 नमूनों में से, भारत में पाए गए अत्यधिक संक्रामक डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) के 73 मामले और एक-एक मामला ब्रिटेन के अल्फा (बी.1.1.7) और इटा (बी.1.525) का पाया गया है.


इन नमूनों को जून में पश्चिम बंगाल के कल्याणी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (एनआईबीएमजी) में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया.


उन्होंने कहा, ‘मिजोरम सरकार राज्य में अन्य वेरिएंट का पता लगाने के लिए कोशिशें कर रही है. लोगों को काफी सावधान रहना होगा और दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा क्योंकि, राज्य के अन्य हिस्सों में कोविड के अलग-अलग वेरिएंट पहले ही मौजूद हैं.’



डेल्टा स्वरूप के 73 मामलों में से 56 मामले आइजोल में


अधिकारी ने बताया कि डेल्टा वेरिएंट के 73 मामलों में से 56 मामले आइजोल में, नौ लुंगलेई में, पांच कोलासिब में और तीन सेरचिप में पाए गए. अल्फा और इटा वेरिएंट के दोनों मामले आइजोल में पाए गए. उन्होंने बताया कि मरीजों की स्थिति का अभी पता नहीं लगाया गया है.


69 प्रतिशत मरीजों को आईसीयू में इलाज की जरूरत पड़ी


एक अध्ययन का हवाला देते हुए पचाऊ ने कहा कि इटा वेरिएंट अधिक खतरनाक है क्योंकि, इसमें 69 प्रतिशत मरीजों को आईसीयू में इलाज कराने की जरूरत पड़ी. उन्होंने बताया कि डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित मरीजों में मृत्यु दर 0.1 प्रतिशत, अल्फा वेरिएंट में दो प्रतिशत और इटा वेरिएंट में 2.7 प्रतिशत पाई गई.