One Nation One Election: केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को वन नेशन वन इलेक्शन को मंजूरी दे दी है. सूत्रों के मुताबिक, संसद में जारी शीतकालीन सत्र में बिल पेश किया जा सकता है.अगर वन नेशन वन इलेक्शन बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हुआ तो लोकसभा और विधानसभा चुनावों के एक साथ कराए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा. 


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2 सितंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्र सरकार ने भारत में एक साथ चुनाव कराए जाने की संभावना तलाशने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया था. यह कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं. विभिन्न राजनीतिक पार्टियों, स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत और कई तथ्यों को ध्यान में रखने के बाद इस कमेटी ने 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. केंद्र सरकार चाहती है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हों. 


शीतकालीन सत्र में पेश कर सकती है बजट


केंद्र सरकार का यह कदम उन रिपोर्टों के कुछ दिनों बाद आया है, जिनमें दावा किया गया था कि एनडीए सरकार इस बिल को या तो मौजूदा शीतकालीन सत्र में या अगले साल के बजट सत्र में पेश कर सकती है. कांग्रेस पहले ही इस विधेयक का विरोध कर चुकी है और इंडिया ब्लॉक की पार्टियों के भी इस विधेयक का विरोध करने में एकजुट रहने की संभावना है.


क्या बीजेपी बिल पास करवा पाएगी?


एनडीए को यह बिल पास करवाने के लिए 2/3 बहुमत की जरूरत पड़ेगी. लेकिन एक समस्या यह है कि भाजपा इसे अपने पक्ष में मोड़ सकती है. 2/3 नियम का सीधा सा मतलब है - मतदान के दिन सदन में 2/3 सांसद मौजूद हों. उदाहरण के लिए, लोकसभा में, अगर मतदान के दौरान 543 में से केवल 400 सदस्य ही मौजूद हों, तो जरूरी बहुमत 268 होगा (400 का दो-तिहाई प्लस एक के रूप में कैलकुलेशन की जाती है).


यही बात राज्य सभा पर भी लागू होती है. अगर चर्चा और मतदान के दौरान कुछ विपक्षी दल वॉकआउट करते हैं, तो सदन की संख्या के हिसाब से 2/3 बहुमत का आंकड़ा नीचे आ जाएगा.