नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि आरएसएस सरकार को नियंत्रित नहीं करता है और देश संविधान के हिसाब से ही चलेगा. नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 'भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' नाम से आयोजित व्याख्यान श्रृंखला के दूसरे दिन उन्होंने कहा कि देश संविधान के द्वारा तय की गई व्यवस्था के हिसाब से ही चलेगा.


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उन्होंने कहा, 'ये पूरी तरह गलत है कि नागपुर से फोन आते हैं और सरकार में बैठे लोगों को निर्देश दिए जाते हैं. यदि उनको (बीजेपी) सलाह की जरूरत होती है, तो वो पूछते हैं. हम सलाह दे सकते हैं तो देते हैं. लेकिन उनकी राजनीति में हमारा कोई प्रभाव नहीं है. सरकार की नीतियों पर हमारा कोई प्रभाव नहीं है. भारत में शक्ति-केंद्र भारत का संविधान है, उसके अलावा कुछ नहीं.' उन्होंने कहा कि संघ का काम संविधान के आधार पर ही चलता है. ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है जब संघ ने संविधान कुछ किया हो.


संघ और बीजेपी का रिश्ता
आरएसएस के स्वयंसेवक सिर्फ भाजपा में ही क्यों शामिल होते हैं, इस बारे में उन्होंने कहा कि दूसरे राजनीतिक दलों को इस बारे में सोचना चाहिए कि स्वयंसेवक सिर्फ एक पार्टी ही क्यों ज्वाइन करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने ये संकेत दिया कि संघ का संबंध सिर्फ बीजेपी से नहीं है. इससे पहले उन्होंने सोमवार को व्याख्यान के पहले दिन भी स्वतंत्रता आंदोलन में कांग्रेस की भूमिका की सराहना करते हुए कहा था कि संघ 'युक्त भारत' में विश्वास रखता है, 'मु्क्त भारत' में नहीं. गौरतलब है कि बीते वर्षों के दौरान बीजेपी अक्सर 'कांग्रेस मुक्त भारत' का नारा देती रही है.


मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस ने अपने सदस्यों से कभी भी नहीं कहा है या कभी नहीं कहेगा कि कि वो राजनीति में हस्तक्षेप करें. उन्होंने कहा, 'हम राष्ट्रनीति पर बोलते हैं, हम इसके बारे में छुपकर नहीं बोलते हैं और अपनी सामर्थ्य के अनुसार इसे करवाते हैं. चूंकि सामर्थ्यवान लोग निठल्ले नहीं बैठ सकते हैं, इसलिए हम व्यक्ति निर्माण की दिशा में काम करते हैं.'


हिंदू राष्ट्र और भारतीयता 
संघ प्रमुख ने कहा कि जब आरएसएस हिंदू राष्ट्र की बात कहता है, तो इसका ये अर्थ नहीं है कि मुसलमानों को बाहर निकाल दो. उन्होंने कहा कि जिन दिन कोई ऐसा कहेगा, उस दिन वो हिंदुत्व ही नहीं रहेगा. इस तरह संघ ने संकेत दिया कि वह अब अधिक समावेशी और सबको साथ लेकर चलने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, 'सभी मतों के तत्व ज्ञान को हम हिन्दू धर्म कहते हैं. कुछ लोग कहते हैं कि हिन्दू मत कहो, भारतीय कहो. बात तो एक ही है. हिन्दू शब्द के रहने से भारतीय स्वभाव नहीं बदलेगा.'