Monsoon Session Parliament: संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई को शुरू हो गया है जो कि 12 अगस्त तक चलेगा. इस सत्र की शुरुआत के पहले दिन ही अगले राष्ट्रपति के लिए वोटिंग हुई. संसद के इस सत्र में कुल 32 बिल पेश किए जाने हैं. बता दें कि एक साल में 3 बार संसद का सत्र लगता है. यह बहुत ही खर्चीला प्रोसेस होता है. एक अनुमान यह है कि एक घंटे की सुनवाई के लिए संसद में 1.5 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. 


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एक घंटे में खर्च होते हैं 1.5 करोड़ रुपये


एक रिपोर्ट के मुताबिक संसद की कार्यवाही में एक मिनट का खर्च 2.5 लाख रुपये बैठता है. इसके हिसाब से हर घंटे का खर्च 1.5 करोड़ रुपये आता है. इसमें सांसदों के वेतन, भत्ते, आवास और सुविधाएं भी शामिल हैं. साथ ही सचिवालय का खर्च और कर्मचारियों का वेतन भी इस खर्च में जोड़ा जाता है. हर साल हंगामें के कारण कई जरूरी मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाती है, इसलिए लाखों का नुकसान भी होता है. 


70-80 दिन ही चलती है संसद


आमतौर पर संसद की कार्यवाही 70-80 दिन की होती है. आखिरी बार साल 1992 में संसद का कामकाज 80 दिनों का हुआ था. इसके बाद से यह आंकड़ा घटता ही जा रहा है. एक साल के दौरान संसद के तीन सत्र होते हैं. इसमें से भी अगर साप्ताहांत और अवकाश को निकाल दिया जाए तो यह समय लगभग तीन महीने का रह जाता है.


कामकाज का समय


संसद की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होती है और अमूमन 6 बजे तक चलती है. हालांकि कभी-कभी ऐसा देखा गया है कि देर रात में भी संसद में किसी मुद्दे पर कार्यवाही या वोटिंग चल रही हो. इस बीच दिन में 1 बजे से 2 बजे तक का समय लंच का होता है. कभी-कभी लंच का समय जरूरत के अनुसार बदले जाने के साथ ही खत्म भी किया जा सकता है. यह निर्णय लेने का अधिकार पूरी तरह से स्पीकर का होता है. शनिवार और रविवार को संसद की कार्यवाही नहीं होती है.


कब-कब होते हैं संसद के सत्र?


  • बजट सत्र- फरवरी से लेकर मई 

  • मानसून सत्र- जुलाई से अगस्त-सितंबर 

  • शीतकालीन सत्र- नवंबर से दिसंबर


कितना होता है सांसदों का वेतन?


लोकसभा के आंकड़ों की मानें तो सांसदों को हर महीने वेतन के तौर पर 50,000 रुपये, निर्वाचन क्षेत्र भत्ते के तौर पर 45,000 रुपये, कार्यालय खर्च के लिए 15,000 रुपये और सचिवीय सहायता के लिए 30,000 रुपये मिलते हैं. इस तरह हर सांसद को 1.4 लाख रुपये मिलते हैं. इसके अलावा सांसदों को साल भर में 34 हवाई यात्राओं सहित असीमित रेल और सड़क यात्रा के लिए सरकारी खजाने से पैसा मिलता है.


पिछली साल सिर्फ 21 घंटे ही चला मॉनसून सत्र


गौरतलब है कि इतने खर्च के बाद भी कई बार पूरा का पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ जाता है. पिछले मॉनसून सत्र की ही बात करें तो साल 2021 में विपक्ष के हंगामे की वजह से सत्र में ज्यादा काम नहीं हो सका. 2021 के मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में महज कुल 17 बैठकों में मात्र 21 घंटे 14 मिनट ही काम हुआ था. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि इस सत्र में सदन का काम काज अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा.


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