Mughal Emperor Akbar Chand Bibi: मुगल बादशाह अकबर ने जब गद्दी संभाली उस समय उसकी उम्र महज 14 साल की थी. गद्दी संभालते ही उसे पानीपत की लड़ाई का सामना करना पड़ा. अकबर को उस लड़ाई में जीत हासिल हुई लेकिन उसकी जीत का सेहरा बैरम खान के सिर चढ़ा लेकिन समय चक्र आगे बढ़ा और उसे लगने लगा कि मुगल साम्राज्य की सीमा नर्मदा और ताप्ती नदी के पार क्यों नहीं होनी चाहिए. साम्राज्य विस्तार की कवायद में उसकी नजर अहमद नगर पर पड़ी हालांकि वो शायद भूल कर बैठा कि अहमदनगर की गद्दी जिस महिला चांदबीबी के हवाले है वो सिर्फ एक महिला नहीं थी.


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अहमदनगर की थीं चांदबीबी


चांदबीबी का अहमद नगर और बीजापुर दोनों जगह से रिश्ता था. अहमदनगर मायका तो बीजापुर ससुराल थी. वो ना सिर्फ रूपवती बल्कि सैन्य कौशल में भी माहिर थी. बीजापुर के सुल्तान यानी उनके पति आदिलशाह की जब मौत हुई तो उन्होंने अपने भतीजे के संरक्षक के तौर पर काम किया इसके साथ साथ उनके पिता की मौत के बाद अहमद नगर की जिम्मेदारी भी संभालनी पड़ी. ताकत के नशे में चूर अकबर की फौज ने अहमदनगर किले की घेरेबंदी की. मुगलों को यकीन था कि एक महिला कितने लंबे समय तक लड़ाई लड़ सकेगी लेकिन यहीं पर वो भूल कर बैठे.


जब हताश हो गए मुगल


अहमदनगर किले को मुगल सैनिकों ने घेर रखा था. समय बीतने के साथ जब उन्हें कामयाबी नहीं मिली तो वे हताश हो गए और किले के चारों तरफ बारूद लगा विस्फोट किया जिसमें एक दीवार टूट गई. चांदबीबी ने हार नहीं मानी. एक तरफ लड़ाई तो दूसरी तरफ दीवार को दुरुस्त कराने में जुट गईं. यह देख मुगल कमांडर ने चाल चली, उसने अपने एक सैनिक को बात करने के लिए भेजा. चांदबीबी तो पहले बात के लिए तैयार नहीं हुईं. हालांकि मन बदला और उस सैनिक से बात करने का निर्णय लिया. बातचीत के क्रम में चांदबीबी के सामने उसने कुछ शर्त रखी लेकिन शर्त ना मानने पर उसने सीने में कटार भोंक कर हत्या कर दी. जब मुगल कमांडर को यह बात पता चली तो उसने सिपाही को भी मार डाला.