नारदा स्टिंग केस में TMC नेता का मुकुल रॉय-शुवेंदु अधिकारी पर आरोप, कहा- शपथपत्र में छिपाई ये बात
तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल में हाल में हुए विधान सभा चुनाव के लिए नामांकन भरते समय भाजपा नेता मुकुल रॉय (Mukul Roy) ने अपने शपथपत्र में नारदा स्टिंग ऑपरेशन में आरोपी होने की बात छिपाई थी.
कोलकाता: नारदा स्टिंग ऑपरेशन (Narda String Operation) मामले में सीबीआई (CBI) ने तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्रियों और एक विधायक के साथ पार्टी के पूर्व नेता को सोमवार को गिरफ्तार किया था. इस बीच तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल में हाल में हुए विधान सभा चुनाव के लिए नामांकन भरते समय भाजपा नेता मुकुल रॉय (Mukul Roy) ने अपने शपथपत्र में नारदा स्टिंग ऑपरेशन में आरोपी होने की बात छिपाई थी.
टीएमसी ने शुवेंदु अधिकारी पर भी लगाया आरोप
तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष (Kunal Ghosh) ने आरोप लगाया कि एक अन्य भाजपा विधायक शुवेंदु अधिकारी ने अपने हलफनामे में नारदा मामले का जिक्र किया, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि किन धाराओं के तहत इसे दर्ज किया गया था. घोष ने कहा, 'उम्मीदवार के लिए उसके खिलाफ दर्ज मामलों का हलफनामे में जिक्र करना आवश्यक है. मुकुल रॉय ने अपने हलफनामे में नारद मामले को पूरी तरह छुपाया.'
नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामला है क्या?
साल 2014 में बंगाल के एक पत्रकार ने TMC के कुल 12 नेताओं का स्टिंग ऑपरेशन (Sting Operation) किया था. इनमें उस समय के 7 सांसद, ममता बनर्जी सरकार के 4 मंत्री और TMC का एक विधायक शामिल था. आरोप है कि ये सभी नेता Sting Operation में 5-5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़े गए थे. ये टेप साल 2016 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से महज कुछ पहले सार्वजनिक किए गए थे. कलकत्ता हाई कोर्ट ने मार्च 2017 में इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था. इन 12 आरोपियों में शुवेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय का नाम भी शामिल है, जो पहले TMC में थे लेकिन अब बीजेपी में आ गए हैं.
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शुवेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय पर कार्रवाई क्यों नहीं?
टीएमसी (TMC) का आरोप है कि जब CBI इस पूरे मामले की जांच कर रही है तो फिर कार्रवाई सिर्फ TMC के मंत्रियों और विधायकों पर क्यों हुई? तो इसका जवाब ये है कि शुवेंदु अधिकारी, सौगत रॉय, काकोली घोष और प्रसून बनर्जी के खिलाफ CBI ने कार्रवाई की अनमुति मांगी हुई है, लेकिन लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने अब तक इस पर अपनी सहमति नहीं दी है, जिसकी वजह से कार्रवाई रुकी हुई है. ये सभी 2014 में TMC के सांसद थे और CBI को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लोक सभा स्पीकर की अनुमति जरूरी है.
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