हादसे में हाथ खोने वाले इस खिलाड़ी की जिंदगी में चमत्कार, डॉक्टरों ने यूं लगा दिए नए हाथ
Hand Transplant Surgery in Mumbai: राजस्थान (Rajasthan) के रहने वाले 22 वर्षीय कबड्डी खिलाड़ी जगदेव सिंह को 20 महीने पहले जनवरी 2020 में बिजली का झटका लगा था. संक्रमण और गैंग्रीन के कारण उनके दोनों हाथ और पैर काटने पड़े थे. उनके साथ पुणे के प्रकाश को भी नई जिंदगी मिली है.
नई दिल्ली: साइंस की दुनिया कभी भी किसी चमत्कार से मना नही करती है. इसी सिलसिले में मुंबई के डॉक्टरों ने दो ऐसे लोगों को पहले की तरह खुल के जिंदगी जीने का मौका दिया है. यहां बात उन दो लोगों की जिनके एक हादसे में हाथ और पैर दोनों कट गये थे.
ट्रांसप्लांट से मिला नया हाथ
दोनों को मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में हैंड ट्रांसप्लांट के जरिए एक बार फिर नया हाथ मिला है. इनमे से एक राजस्थान (Rajasthan) से ताल्लुक रखने वाले कब्बडी खिलाड़ी (Kabaddi Player) जगदेव सिंह हैं तो दूसरे पुणे (Pune) में रहने वाले प्रकाश शेलार है. इन दोनों की जिंदगी में एक हादसा पेश आया और दोनों को अपने हाथ-पैर गंवाने पड़ गए.
जिंदगी पर भारी था वो दिन
जनवरी 2020 में राजस्थान के रहने वाले 22 साल के कबड्डी खिलाड़ी जगदेव सिंह को बिजली का झटका लगा था, और इस झटके में उनके दोनों हाथ और पैर काटने की नौबत आ गई. ये दिन उनके लिए एक अभिशाप था क्योंकि जगदेव को उसी साल कबड्डी अकादमी में शामिल होना था. 15 अक्टूबर 2021 का दिन जगदेव की जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन बना जब उन्हें ग्लोबल हॉस्पिटल से हैंड ट्रांसप्लांट के लिए फोन आया.
यूं साकार हुआ सपना
ऑपरेशन के बाद सुचारू रूप से ठीक होने के लिए गहन देखभाल करने वाले चिकित्सकों, इम्यूनोलॉजिस्ट और नर्सों की एक टीम द्वारा जगदेव की बारीकी से निगरानी की गई. फिजियोथेरेपिस्ट की टीम ने उन्हें फिर से अपने कृत्रिम पैरों पर खड़ा करने के लिए कड़ी मेहनत की, क्योंकि सिंह को अपने वजन को संतुलित करने और अपने नए प्रत्यारोपित हाथों को समायोजित करते हुए अपने कृत्रिम पैरों पर चलने की कला सीखनी पड़ी.
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15 घंटे तक चली सर्जरी
डॉक्टरों की एक बड़ी टीम और प्लास्टिक, हाथ और माइक्रोवैस्कुलर सर्जन, ऑर्थोपेडिक सर्जन और एनेस्थेसियोलॉजिस्ट ने जटिल सर्जरी में भाग लिया, जो करीब 15 घंटों तक चली. वहीं पुणे के 33 वर्षीय प्रकाश शेलार की कहानी भी जगदेव की तरह ही है. दो साल पहले पुणे के प्रकाश शेलार को भी 2019 में दिवाली के दौरान बिजली का झटका लगा तो दोनों हाथ और दोनों पैर यानी 4 अंगों का गैंग्रीन हो गया, जिससे प्रकाश के दोनों हाथ और पैर काटने पड़े. प्रकाश शेलार पेशे से एक एकाउंटेंट हैं, वह अपने माता-पिता, पत्नी और 2 वाले अपने परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाले इंसान थे. इसके बाद घर चलाने के लिए उनकी मां और पत्नी दोनों को नौकरी करनी पड़ी.
9 महीने पहले जगी आस
प्रकाश ने 9 महीने पहले ग्लोबल हॉस्पिटल के डॉक्टर डॉ. नीलेश सतभाई से मुलाकात की और हैंड ट्रांसप्लांट के लिए प्राप्तकर्ता प्रतीक्षा सूची में पंजीकृत किया गया. 30 अक्टूबर 2021 को यानी इस साल दिवाली से ठीक पहले सूरत से हाथ दान के लिए एक अलर्ट प्राप्त हुआ. जिसके बाद उनके मन में भी पहले जैसी जिंदगी गुजार पाने का ख्याल मन में आने लगा. अब ग्लोबल हॉस्पिटल में दोनों हाथों का प्रत्यारोपण होने के बाद उनका सपना साकार हो गया है.
पिछले साल हुई थी पहली सर्जरी
इस मौके पर मोनिका मोरे नाम की वो युवती भी मौजूद थीं जिनका एक रेल हादसे में हाथ कट गया था. उनका हैंड ट्रांसप्लांट अगस्त 2020 में उन्हीं डॉक्टर नीलेश सतभाई की अगुवाई में हुआ. जिन्होंने इन दोनों युवकों को नई जिंदगी दी. इसी ग्लोबल हॉस्पिटल में पश्चिमी भारत का पहला सफल द्विपक्षीय हैंड ट्रांसप्लांट हुआ था.
रंग लाई टीम की मेहनत
इस सर्जरी को कामयाबी के साथ पूरा करने वाले डॉक्टर नीलेश ने बताया, 'हमारी टीम इन रोगियों की पोस्टऑपरेटिव रिक्वरी सुनिश्चित कराने में कामयाब रही है. द्विपक्षीय हैंड ट्रांसप्लांट सर्जरी काफी लंबी और बेहद जटिल प्रक्रिया है. इसमें मुख्य धमनियों, हड्डियों, कई नसों, और मांसपेशियों और टेंडन को जोड़ना शामिल है. हमारी टीम ने रिसीवर और डोनर के दोनों हाथों को तैयार करने के लिए एक साथ 4 स्टेशनों पर एक साथ काम किया और फिर उन्हें बेहतर तरीके से अंजाम दिया.'