नई दिल्ली: आज (6 दिसंबर) अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने की बरसी है. 25 साल पुराने इस विवाद के बारे में तो शायद हम सब जानते हैं, लेकिन आपको राम लला से जुड़ी कुछ जानकारियां अचंभित कर सकती हैं. ये ऐसी जानकारी हैं जो भारत की धार्मिक एकता की कहानी बयां करती है. विवादित जमीन को जहां हिंदू समुदाय के लोग राम जन्मभूमि होने का दावा करते हैं तो मुस्लिम इसे अपने धार्मिक स्थल की भूमि मानते हैं. इसी वजह से दोनों धर्म के लोगों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है. राजनीतिक पार्टिंया इस मुद्दे को उछालकर अपना हित साध चुकी हैं. आइए राम लला से जुड़ी उन जानकारियों पर नजर डालते हैं, जो अचंभित करने वाले हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक राम लला के कपड़े तैयार करने से लेकर रोशनी और सुरक्षा की जिम्मेदारी तीन मुस्लिम निभा रहे हैं.


2. राम लला को छह स्तरीय सुरक्षा के बीच रखा गया है. यहां जब कभी आंधी या तेज बारिश की वजह से कंटीले तार टूट जाते हैं तो लोक निर्माण विभाग अब्दुल वाहिद को याद करता है. 


3. राम लला के जब भी कपड़े बदले जाते हैं तो उसे सादिक अली तैयार करते हैं. सादिक लंबे समय से राम लला के लिए कुर्ता, सदरी, पगड़ी और पायजामे तैयार कर रहे हैं.


अयोध्‍या विवाद: पौराणिक नगरी को अब भी है विकास का इंतजार...


4. राम लला सहित अयोध्या के अधिकतर मंदिरों में बिजली की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी महबूब के कंधों पर है.


5. अब्दुल, सादिक और महबूब वर्षों से राम लला मंदिर के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 


ये भी पढ़ें: अयोध्‍या विवाद- सुप्रीम कोर्ट में 8 फरवरी 2018 तक सुनवाई टली


6. अब्दुल वाहिद को मंदिर की सुरक्षा चाक-चौबंद रखने में सहयोग करने के लिए प्रतिदिन 250 रुपये मिलते हैं. 


7. सादिक का कहना है कि वह राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुरोहित के लिए भी कपड़े तैयार करते हैं, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा संतुष्टि राम लला के लिए वस्त्र तैयार करने में मिलती है. 


8. सादिक बताते हैं कि ईश्वर सबके लिए एक है. मैंने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के सभी पक्षकारों के लिए कपड़े तैयार किए हैं. इनमें हनुमानगढ़ी मंदिर के प्रमुख रामचंद्र दास परमहंस भी शामिल रहे हैं.


9. सादिक बताते हैं कि वह और उनका बेटा पिछले 50 वर्षों से कपड़े सिलने का काम कर रहे हैं. सत्तावन वर्ष पुरानी ‘बाबू टेलर्स’ हनुमानगढ़ी मंदिर की जमीन पर ही है, जिसके लिए किराये के तौर पर प्रति माह 70 रुपये का भुगतान करना होता है.


10. मंदिरों में बिजली पहुंचाने वाले वाहिद ने बताया कि उसने 1994 से पिता के साथ बिजली का काम कर रहा है. उसने बताया कि वह बिना भेदभाव के मंदिरों के बिजली कनेक्शन दुरुस्त रखता है.