मुंबई: कोरोना काल में खाद्य तेलों (Edible Oils) की कीमत आसमान छू रही है. इनकी कीमतें 50% तक बढ़ गई हैं. खाद्य तेलों के मामले में भारत अपनी तीन चौथाई तक जरूरत विदेश से आने वाले कच्चे खाद्य तेल से पूरी करता है. ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए जल्द ही कोई फैसला ले सकती है. इसी बीच सरकार ने खाद्य तेलों को लेकर एक और अहम फैसला किया है.


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सरकार ने खाद्य तेलों (Edible Oils) में सरसों तेल (Musterd Oil) की मिलावट रोकने के लिए नया आदेश जारी कर दिया है. इसके तहत, खाद्य तेलों के उत्पादन के दौरान सरसों का तेल मिलाने को लेकर पैकर्स को जो मंजूरी दी गई थी उसे वापस ले लिया गया है. अब सरसों के तेल को दूसरे स्रोत के खाद्य तेलों के साथ नहीं मिलाया जा सकेगा. 


ग्राहकों तक पहुंचेगा शुद्ध सरसों का तेल


कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सहकारिता और किसान कल्याण विभाग के तहत आने वाले विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय ने मिश्रित खाद्य वनस्पति तेल के सभी पैकिंग करने वालों के नई दिल्ली स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों के नाम आदेश जारी किया गया है. सरकार को उम्मीद है कि, इससे सरसों के तेल में मिलावट से पूरी तरह से छूट मिलेगी. वहीं ग्राहकों तक शुद्ध सरसों का तेल पहुंचेगा.


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सरसों का तेल लूज नहीं बेचा जा सकेगा


नए अमेंडमेंट के बाद अब सरसों का तेल लूज नहीं बेचा जा सकेगा. सरसों का तेल अब एक सील्ड पैकेट में ही बेचा जा सकेगा जो 15 किलो से अधिक नहीं होगा. नई पॉलिसी के आने के बाद जब ज़ी न्यूज़ की टीम मुंबई के कुर्ला स्तिथ राजदीप आयल डेपो पहुंची तो पड़ताल में ये पता चला कि, ग्राहक अभी भी लूज सरसो तेल खरीद भी रहे थे.


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नहीं हो रहा आदेश का पालन


डिपो में लूज सरसों तेल बेचने वाले विक्रेता मुश्ताक का कहना है कि अगर लूज नहीं बेचेगें तो क्या करेंगे, आम आदमी पूरा कंटेनर नहीं खरीद सकते हैं. उसके मुताबिक, ' एक दिन में करीब 100 में से 90 ग्राहक लूज तेल की डिमांड करते हैं, बहुत से ऐसे लोग हैं जो हर दिन सिर्फ जरुरत भर तेल खरीदते हैं. यानी वो हैसियत के मुताबिक 250 ग्राम या 100 ग्राम तेल ही खरीदते हैं. ऐसे में साफ है कि इस फैसले से गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों को ही परेशानी होगी.'


किसानों की कमाई


इस बार ज्यादातर किसानों ने एमएसपी (MSP) से अधिक दाम पर सरसों बेची है. कई राज्य सरकारें इस बार सरसों नहीं खरीद पाई हैं, क्योंकि सरकार तो एमएसपी (4650 रुपए प्रति क्विंटल) पर ही खरीद करेगी. इस साल किसानों ने औसतन 5500 से 6300 रुपए तक सरसों बेची है. इस बार देश में सरसों का उत्पादन 90 लाख टन हुआ है. सबसे अधिक उत्पादन राजस्थान में 35 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 15 लाख टन, पंजाब व हरियाणा में 10.5 लाख टन तथा पश्चिमी बंगाल में 5 लाख टन का उत्पादन हुआ है.


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