Narak Chaturdashi: जानिए छोटी दिवाली पर क्यों होती है यमराज और बजरंगबली की पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली (Diwali) का त्योहार इस साल 14 नवंबर यानी शनिवार को है. लेकिन उससे एक दिन पहले छोटी दिवाली (Choti diwali) का पर्व मनाया जाता है.
नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली (Diwali) का त्योहार इस साल 14 नवंबर यानी शनिवार को है. लेकिन उससे एक दिन पहले छोटी दिवाली (Choti diwali) का पर्व मनाया जाता है. इस दिन को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi), रूप चतुर्दशी और काली चौदस के नाम से जाना जाता है.
छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है
क्या आपको पता है कि छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी क्यों कहा जाता है. अगर नहीं तो चलिए इससे जुड़ी कथा के बारे में हम आपको बताते हैं. दिवाली की रौनक घरों से लेकर बाजारों तक देखते ही बन रही है. हर कोई अपनी दीवाली खास बनाना चाहता है. दिवाली से पहले लोग अपने घरों को सजाना शुरू कर चुके हैं.
छोटी दिवाली को पूरे घर में घुमाया जाता है दीया
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाने का रिवाज है. इस साल छोटी दिवाली 13 नवंबर यानी आज को मनाई जाएगी. छोटी दिवाली नरक चतुर्दशी के दिन मनायी जाती है. मान्यता के अनुसार, छोटी दिवाली की रात में घरों में बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा एक दीपक जलाकर पूरे घर में घुमाया जाता है और उस दीपक को घर से बाहर कहीं दूर रख दिया जाता है.
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छोटी दिवाली पर होती है यमराज और बजरंग बली की पूजा
इस दिन मुख्य द्वार पर दीपक जलाने का विधान है और घर के आस-पास दीये भी जलाते हैं. लेकिन क्या आप जानते है कि छोटी दिवाली पर दीपक क्यों जलाया जाता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक दिवाली से एक दिन पहले आज देश भर में छोटी दिवाली मनाई जा रही है. इस दिन भगवान कृष्ण, यमराज और बजरंगबली की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से मनुष्य नरक में मिलने वाली यातनाओं से बच जाता है. साथ ही अकाल मृत्यु से रक्षा होती है.
भगवान श्री कृष्ण ने असुर नरकासुर का किया था वध
मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी असुर नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कराया था. तब से इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा के सहयोग से श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया.
जल में औषधि मिलाकर स्नान करने से रूप सौंदर्य बढ़ता है
मान्यताओं के मुताबिक 16,000 कन्याओं को बंधन मुक्त कराने और नरकासुर का वध करने के उपलक्ष्य में ही नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान की विशेष परंपरा शुरू हुई. इस दिन को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं. इस दिन जल में औषधि मिलाकर स्नान करने और 16 ऋृंगार करने से रूप सौन्दर्य और सौभाग्य बढ़ता है. ऐसी मान्यताएं कहती हैं.
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रूप चौदस पर यमराज के लिए भी दीप जलाया जाता है
धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति मृत्यु के देवता यमराज पूजा करता है. उसको जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है. रूप चौदस पर यमराज के लिए दीप भी जलाए जाते है. रूप चौदस का महत्त्व इस दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और शाम के समय दीप दान करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है.
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