जून की गर्मी ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, इतिहास में अब तक का सबसे `गर्म जून` हुआ दर्ज
NASA की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जून के औसत तापमान में 20वीं सदी के वैश्विक औसत 15.5°C से 0.95°C की बढ़ोतरी हुई.
नई दिल्ली: अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स के लिए काम करने वाली साइंटिफिक एजेंसी (National Oceanic and Atmostpheric Administration) के मुताबिक, जून का महीना पृथ्वी के इतिहास में सबसे गर्म जून दर्ज किया गया. इस रिपोर्ट की पुष्टि करने वाली दूसरी एजेंसी NASA है. नासा की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जून के औसत तापमान में 20वीं सदी के वैश्विक औसत 15.5°C से 0.95°C की बढ़ोतरी हुई. वहीं, जनवरी से जून के बीच पारा औसत 13.5° के मुकाबले 0.95°c बढ़ा. इसकी वजह कमजोर एस नीनो, यूरोप की ऐतिहासिक हीटवेव और लगातार बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग मानी जा रही है.
इससे पहले साल 2017 पृथ्वी के इतिहास में दूसरा सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया था. जिस रफ्तार से विश्व भर में तापमान बढ़ रहा है, औसत से ज्यादा तापमान के रिकॉर्ड बनना आम बात होती जा रही है. आपको ये जानकर शायद हैरानी न हो कि इस साल जून में आर्कटिक में बर्फ पिघलने का सीजन जल्द शुरू हो गया. जलवायु वैज्ञानिकों की मानें तो जून के बाद अब जुलाई पृथ्वी का सबसे गर्म महीना बनने जा रहा है. अभी जुलाई को खत्म होने में एक हफ्ता बाकी है, लेकिन दुनिया भर के जलवायु वैज्ञानिकों ने ये अनुमान लगाना शुरू कर दिया है कि इस साल जुलाई 2017 के रिकॉर्ड को तोड़ देगा.
अलास्का फेयरबैंक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ब्रायन ब्रैटेशनाइडर (Brian Brettschneider) का कहना है कि ये महीना अब तक का सबसे गर्म महीना रिकॉर्ड हो सकता है. (यहां अबतक से मतलब है साल 1800 से जब से रिकॉर्ड रखे जा रहे हैं.) जब तक ग्रीन हाउस गैसों को कम करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते तब तक गर्मी के रिकॉर्ड इसी तरह से टूटते रहेंगे. वैज्ञानिकों का कहना है इस सदी में दुनिया का औसत तापमान 3.6°C तक बढ़ जाएगा. इस तरह की परिस्तिथियां 20 लाख सालों में अब तक कभी नहीं देखी गई. इस साल भारत के कई हिस्सों में जून में हीट वेव देखने को मिली. इसकी वजह मॉनसून में देरी माना जा रहा है.
अल नीनो का दिखा असर
वैश्विक संदर्भ में देखा जाए तो अभी तक का सबसे गर्म महीना जून रहा. अल नीनो के असर से पूरे साउथ-ईस्ट एशिया का मानसून कमजोर रहा है जिसकी वजह से बारिश कम हुई है. यहां तक कि इस साल जून के महीने में प्री-मानसून एक्टिविटी भी कम रही. पूरे साउथ ईस्ट एशिया का एवरेज टेम्परेचर बढ़ गया है. दुनिया के बाकी हिस्सों में भी गर्मी में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. गर्मी साल दर साल बढ़ती जा रही है. एयर टेम्परेचर बढ़ रहा है, जबकि ग्रीन कवर लगातार घट रहा है. पूरे साल का ग्लोबर एवरेज निकाला जाता है और इसी तरह मंथली एवरेज भी निकाला जाता है.