नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में गुरुवार को एक याचिका दाखिल करते हुई राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान कानून को चुनौती दी गई है. इस याचिका में आबादी के हिसाब से राज्यवार अल्पसंख्यकों की पहचान करने की मांग कोर्ट से की गई है. 


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याचिका में आगे कहा गया है कि कई राज्यों में हिन्दू,बहाई और यहूदी वास्तविक अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उन्हें वहां अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त न होने के कारण अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान खोलने और चलाने का अधिकार नहीं है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पहले भी इस संबंध में आदेश पारित किया गया था लेकिन आजतक आदेश का पालन पालन नहीं हुआ है.


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क्या है राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग कानून?
बताते चलें कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग कानून 2004 धारा 2 (F) को चुनौती दी गई है. यह कानून 6 जनवरी 2005 को लागू हुआ था. इस कानून के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग बनाया गया था. इसी के तहत अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त समुदायों को अपनी पसंद के शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार है. ये कानून इन संस्थानों को वजीफा और अन्य सुविधाएं भी प्रदान करता है.