चंडीगढ़: पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने ब्रिटिश शासन के दौरान जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल को हुए नरसंहार के शताब्दी वर्ष के पहले इसके पुनरुद्धार के लिए जरूरी धनराशि जारी करने में ‘विफलता’ के लिए बुधवार को बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर हमला बोला.


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मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को लिखे पत्र में सिद्धू ने कहा, ‘13 अप्रैल 2019 को हम जलियांवाला बाग नरसंहार के शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे और इसकी 100 वीं बरसी मनाएंगे. भारत सरकार की संस्थागत अनदेखी और अक्षम्य चुप्पी मेरे मन को परेशान करती है .’ उन्होंने कहा,‘जलियांवाला बाग राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है और भारत के विचार को प्रेरित करता है.’


'केंद्र सरकार गहरी नींद से नहीं जागी है' 
जलियांवाला बाग के पुनरूद्धार परियोजना के लिए राज्य सरकार की ओर से मांगी गई धन राशि जारी नहीं किए जाने पर मंत्री ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला .


उन्होंने कहा, 'हमारे बार-बार के प्रयासों के बाद भी केंद्र सरकार गहरी नींद से नहीं जागी है और इस स्थान को उसका उचित महत्व नहीं दिया है. जलियांवाला बाग को पुनर्जीवित करने के लिए एक विस्तृत परियोजना तैयार करने के बावजूद, इसके लिए 100 करोड़ रुपये की मांग को लेकर प्रधानमंत्री को लिखी गई मेरी चिट्ठी की अनदेखी की गयी है जबकि आपने भी (अमरिंदर सिंह) मेरी इस चिठ्ठी का अपने पत्र के साथ समर्थन किया था.' 


गौरतलब है कि जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए एकत्र हुए थे. इसी दौरान कर्नल आर डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों ने इन लोगों पर गोली चला दी जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे .


'जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए माफी मांगे ब्रिटेन' 
पंजाब के पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री ने प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से आग्रह किया कि वह केंद्र और ब्रिटिश सरकार को पत्र लिखकर जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को माफी मांगने को कहें.


सिद्धू ने कहा, 'यह प्रतिकार का समय है और 13 अप्रैल, 1919 की कार्रवाई के लिए ब्रिटिश सरकार ने कभी माफी नहीं मांगी. 100 साल का समय यद्यपि बहुत अधिक हो चुका है लेकिन फिर भी माफी मांगने का मौका है .'  


मंत्री ने कहा, 'मैं आपसे (कैप्टन अमरिंदर सिंह) आग्रह करता हूं कि भारत और ब्रिटिश सरकार को पत्र लिख कर इस अत्याचार के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से माफी मांगने को कहें .' 


इस बीच, लंदन से प्राप्त जानकारी के अनुसार जलियांवाला बाग नरसंहार की 100 वीं बरसी से पहले ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने अमृतसर में हुई उस घटना को बुधवार को ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर ‘शर्मनाक धब्बा’ बताया. हालांकि, उन्होंने औपचारिक माफी नहीं मांगी है.