नई दिल्ली: बिहार में 90 के दशक में एक नक्सली संगठन था. इस संगठन का एक नेता पुलिस अधिकारी की हत्या (Murder) के सिलसिले में वॉन्टेड था. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आखिरकार इस नेता को गिरफ्तार कर लिया.


26 साल से था लापता 


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ये नक्सली 26 साल से लापता (Missing) चल रहा था. बता दें कि 60 साल का ये नक्सली हरियाणा के फरीदाबाद में फर्जी पहचान (Fake Identity) के साथ रह रहा था. नक्सली को मरा हुआ समझा जा रहा था. लेकिन पुलिस टीम कई दिनों से नक्सली नेता के सक्रिय होने की जानकारी जुटाने में लगी हुई थी.


कैसे किया गिरफ्तार?


'द टाइम्स ऑफ इंडिया' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक क्राइम ब्रांच के डीसीपी रोहित मीणा (Rohit Meena) ने बताया कि एसीपी अभिनेंद्र जैन (Abhinendra Jain) के मार्गदर्शन में इंस्पेक्टर एनके लांबा (NK Lamba) की टीम ने किशुन पंडित नाम के इस आदमी के लिए जाल बिछाकर दिल्ली के प्रह्लादपुर पुल से उसे गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद आरोपी ने खुलासा किया कि उसने अपना नाम सोलेंद्र पंडित (Solendra Pandit) बताकर फर्जी पहचान पत्र के जरिए पुलिस को बरगलाने की कोशिश की थी.


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आरोपी ने सुनाई झूठी कहानी 


आरोपी ने पुलिस को झूठी कहानी सुनाते हुए बताया कि 1996 में अज्ञात लोगों ने एक वरिष्ट नक्सली नेता देवेंद्र सिंह (Devendra Singh) की हत्या कर दी थी. पुलिस उसके शव को अपने साथ ले गई थी. इसके बाद पंडित (Kishun Pandit) ने एक हमले में पार्टी के दूसरे सदस्यों के साथ पुलिस पर हमला किया जिसमें एक पुलिसकर्मी की जान चली गई और तीन घायल हो गए. उसने कहा कि इसके बाद नक्सली अपने नेता के शव को ले गए. 


भागने में सफल रहा आरोपी


बिहार पुलिस (Bihar Police) हरकत में आई और 31 लोगों की गिरफ्तारी की लेकिन पंडित समेत 4 लोग भागने में सफल रहे. आपको बता दें कि 1997 में पुलिस ने आरोपी पर नकदी इनाम घोषित किया था. आरोपी ने बचने के लिए एक योजना बनाई और अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपनी फर्जी हत्या (Fake Murder) की साजिश रची. 


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मौत का किया ढोंग


आरोपी के परिवार ने बिहार में हुई एक रेल ट्रैजडी (Rail Tragedy) के बाद एक शव की पंडित के तौर पर पहचान कर उसका अंतिम संस्कार (Funeral) कर दिया. इसके बाद पंडित ने एक नई पहचान के साथ जीने का फैसला किया. इस आरोपी ने पुलिस को खुद की मौत का विश्वास दिलाने के लिए छल किया.


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