नई दिल्ली: न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटस स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (NBDSA) ने ज़ी न्यूज (Zee News) पर प्रसारित एक कार्यक्रम के खिलाफ सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) द्वारा दायर शिकायत को खारिज कर दिया है. आपको बता दें कि NBDSA जिसे न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी के नाम से जाना जाता था उसने अपने फैसले में कहा कि यह मामला सीमाओं से परे होने के साथ इसमें हुई देरी को संस्था द्वारा माफ नहीं किया जा सकता है.


DNA में प्रसारित हुई थी खबर


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CJP ने ज़ी न्यूज़ के खिलाफ शिकायत में कहा था कि 'DNA: जम्मू में जमीन के इस्लामीकरण का डीएनए टेस्ट' शीर्षक वाले कार्यक्रम में एंकर ने दर्शकों के सामने जिहाद डायग्राम दिखाया था. इस कार्यक्रम में देश में विभिन्न प्रकार के जिहाद को सॉफ्ट जिहाद और हार्डकोर जिहाद के रूप में वर्गीक्रत किया था. CJP ने कहा था कि जिस देश में सांप्रदायिक मुद्दों की इतनी चर्चा होती हो, वहां जिहाद की अवधारणाओं और उसके वर्गीकरण का प्रदर्शन एक तरह से इस्लामोफोबिया (Islamophobia) पैदा करने की कोशिश है. 


शिकायतकर्ता ने ये आरोप भी लगाया, 'ऐसा लगता है कि प्रोग्राम को इस थीम के साथ प्रसारित किया गया कि जम्मू की 90 फीसदी जमीन मुस्लिमों द्वारा खरीदी गई है, जबकि जम्मू की गिनती हिंदू बहुसंख्यक क्षेत्र के रूप में होती है. आगे ये समझाया गया कि कैसे एक साजिश के तहत हिंदू बहुल जम्मू को मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बदलने की कोशिश हुई.' 


28 अक्टूबर, 2021 को सुनवाई


NBDSA ने 28 अक्टूबर, 2021 को दोनों पक्षों को सुनवाई के लिए बुलाया था. इस दौरान ज़ी न्यूज़ की ओर से एडवोकेट विजय अग्रवाल और युगंत शर्मा, एनबीडीएसए के सामने पेश हुए. दोनों वकीलों ने सीजेपी द्वारा की गई शिकायत का विरोध किया.


सुनवाई के दौरान ज़ी मीडिया का पक्ष रखते हुए वकीलों ने तकनीकि पहलुओं की चर्चा करते हुए कहा कि CJP ने शिकायत में कहे गए तथ्यों का खुलासा नहीं किया और शिकायत के साथ देरी की माफी मांगने के लिए आवेदन पेश नहीं किया. इसके बाद CJP ने अपनी तरफ से हुई देरी को माफ करने के लिए एक आवेदन किया, जिसके बाद Zee News की ओर से जवाब दिया गया.


ज़ी न्यूज़ के वकीलों की दलील


ज़ी न्यूज़ की ओर से पेश एडवोकेट विजय अग्रवाल ने CJP की माफी का विरोध करते हुए कहा, 'कार्यक्रम का प्रसारण 11 मार्च, 2020  को हुआ जिसकी शिकायत 13 दिन बाद यानी 24 मार्च, 2020 को हुई. जबकि  NBSA के Provison of Regulation 8.1.6. के तहत CJP को अपनी शिकायत, कार्यक्रम का प्रसारण होने के 7 दिन के भीतर करनी थी. ऐसे में शिकायतकर्ता ने जो देरी की वजह बताई वो नियमों से परे हैं.'


विजय अग्रवाल ने बहस को आगे बढ़ाते हुए कहा कि CJP को NBSA के Regulation 8.2 के तहत अपनी बात 14 अप्रैल तक रखनी थी लेकिन उन्होंने दो दिन की देरी के साथ 16 अप्रैल को अपनी बात रखी जो यह साफ-साफ दिखाता है कि शिकायतकर्ता ने इस मामले में निष्क्रियता दिखाते हुए लापरवाहीभरा रवैया अख्तियार किया.


प्राधिकरण ने रद्द की शिकायत


इसके बाद दलीलों पर विचार करते हुए NBDSA ने CJP की शिकायत को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा, 'न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी के नियमों के तहत, प्राधिकरण को तीन स्तरों पर शिकायतों को दर्ज करने में देरी को माफ करने की शक्ति है. सबसे पहले, ब्रॉडकास्टर के स्तर पर, दूसरा निवारण के स्तर पर और तीसरी बार तब जब प्राधिकरण रेगुलेशन 8.7 के तहत प्रसारणकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी करता है.   


इस मामले में एनबीडीएसए ने आगे कहा कि सभी मानकों को ध्यान में रखते हुए कि उससे पास शिकायत करने में हुई देरी को माफ करने का अधिकार नहीं है इसलिए  NBDSA इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकता है इसलिए CJP द्रारा दायर की गई शिकायत को खारिज किया जाता है.