Netaji Subhas Chandra Bose Remains: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी प्रोफेसर अनीता बोस फैफ ने कहा है कि आजादी के 75 साल का जश्न तीनों देश भारत, पाकिस्तान और बाग्ंलादेश मना रहे हैं. इस स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायकों में से एक सुभाष चंद्र बोस अभी तक अपनी मातृभूमि पर नहीं लौटे हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सुभाष चंद्र बोस को इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) के साथी उन्हें प्यार और सम्मान से नेताजी बुलाते थे. उन्होंने जीवन भर देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया. उन्होंने इस संघर्ष के लिए अपने मन की शांति, पारिवारिक जीवन, अपने करियर और अंत में, जीवन को त्याग दिया.


देशवासियों ने उनके समर्पण और बलिदान के लिए उन्हें धन्यवाद दिया. लोगों ने उनके लिए कई भौतिक और आध्यात्मिक स्मारकों का निर्माण किया और इस तरह उनकी स्मृति को जीवित रखा.


नेताजी की मृत्यु पर कही ये बात


नेताजी के प्रति उनकी प्रशंसा और प्रेम से प्रेरित होकर, भारत में कुछ पुरुष और महिलाएं नेताजी को याद करते हैं. उन्होंने कहा कि 18 अगस्त 1945 को एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु नहीं हुई थी.


फैफ ने कहा, नेताजी की मृत्यु उस दिन विदेश में हुई थी. जापान ने टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में उनके अवशेषों को रखा है. तब से पुजारियों की तीन पीढ़ियों ने अवशेषों की देखभाल की है. अब समय आ गया है कि उनके अवशेषों को भारतीय धरती पर लाया जाए.



डीएनए टेस्ट को तैयार


उन्होंने नेताजी की अस्थियों को उनकी मातृभूमि में वापस लाने के लिए लोगों से प्रयास करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि वह नेताजी के अवशेषों के डीएनए परीक्षण के लिए तैयार हैं.अनीता बोस फैफ नेताजी की इकलौती संतान है. माना जाता है कि नेता की मृत्यु ताइवान में 18 अगस्त 1945 को एक विमान हादसे में हुई थी. हालांकि दो कमेटियों की जांच में पाया गया कि उनकी मौत ताइवान में हुई थी. लेकिन जस्टिस एमके मुखर्जी की अगुआई वाले तीसरे जांच दल ने कहा कि विमान हादसे में नेताजी की मौत नहीं हुई थी, वह उसके बाद भी जिंदा थे.


ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर