नई दिल्ली: देश में शिक्षण संस्थानों द्वारा पर्यावरण नियमों को तोड़े जाने का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण संबंधी कानूनों का उल्लंघन करके स्कूलों तथा इस तरह के अन्य संस्थानों द्वारा वायु एवं ध्वनि प्रदूषण किये जाने पर चिंता जताई और मंत्रालय से इस पर गौर करने को कहा. 


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पीठ ने कहा कि हम पर्यावरण मंत्रालय के सचिव को देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों द्वारा पर्यावरण संबंधी नियमों के उल्लंघन का ध्यान रखने के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी करने के लिए संबंधित प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों या केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर सभी राज्यों के शिक्षा विभागों से वीडियो कांफ्रेंसिंग या किसी अन्य तरह से बातचीत करने का निर्देश देते हैं. 


अधिकरण ने पर्यावरण मंत्रालय को आठ हफ्तों के भीतर ईमेल के माध्यम से अनुपालन रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. अधिकरण ने यह निर्देश उत्तर प्रदेश के निवासी मनोज चौधरी की याचिका पर दिया जिसमें आरोप लगाया गया था कि मेरठ के मिशन कम्पाउंड क्षेत्र स्थित उनके आवास के पास नौ स्कूल डीजल इंजन सेट पिछले दस वर्ष से संचालित कर रहे हैं और इससे वायु एवं ध्वनि प्रदूषण नियमों का उल्लंघन हो रहा है. 


राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 29 जनवरी को एलआरए किड्स स्कूल , जे पी एकेडमी स्कूल , लिटिल स्कॉलर कोल्ट्स स्कूल और शिवालिक पब्लिक स्कूल का निरीक्षण किया और मेरठ विकास प्राधिकरण को पत्र भेजकर निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही शुरू करने को कहा. 


(इनपुट - भाषा)