Nirmala Sitharaman's Statement: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भारतीय इंडस्ट्री के लोगों से अपील की है कि पश्चिम में आर्थिक मंदी (Economic Recession) की आशंका के चलते वो ऐसी स्ट्रैटेजी बनाएं जिससे विकसित देशों में चल रही कंपनियां भारत को एक प्रोडक्शन या खरीद केंद्र के तौर पर देख सकें. वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने विदेशी इन्वेस्टमेंट को लाने के लिए काफी सुविधाएं दी हैं. इसके अलावा नियमों में भी बदलाव किया गया है. हम उन इंडस्ट्री से भी जुड़ रहे हैं जो हमारे देश में आना चाहती हैं.


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भारतीय उद्योग जगत से वित्त मंत्री की अपील


निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय उद्योग जगत खुद को पश्चिम और विकसित दुनिया में आर्थिक मंदी के लिए तैयार करे. मेरा मानना है कि ये वहां काम कर रहे मैन्युफैक्चरर्स को भारत में लाने की स्ट्रैटेजी बनाने को सबसे अच्छा वक्त है. भले ही उनका हेडक्वार्टर वहां है, लेकिन उनके लिए यह फायदेमंद हो सकता है कि वो यहां से चीजें खरीदें. दुनिया के इस भाग के बाजारों के लिए कम से कम यहां से उत्पादन हो.


यूरोप पर पड़ेगा संभावित मंदी का प्रभाव


वित्त मंत्री ने आगे कहा कि संभावित मंदी का प्रभाव यूरोप पर भी पड़ेगा. इसका केवल भारतीय कंपनियों के एक्सपोर्ट पर असर नहीं होगा. ये वहां के कई प्रकार के निवेश को भारत लाने का मौका देता है. अब वो ऐसी अलग जगहों की खोज कर रहे हैं जहां से वो अपने ऑपरेशन को जारी रख सकें.


इन सेक्टरों पर ध्यान देता रहेगा भारत


उन्होंने आगे कहा कि भारत मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस के नए सेक्टरों पर ध्यान देता रहेगा. दुनिया स्वच्छ एनर्जी की दिशा में परिवर्तन की ओर है. ऐसी स्थिति में डॉमेस्टिक इंडस्ट्री को विकसित देशों की तरफ से भारी शुल्क का सामना करना हो सकता है.


वित्त मंत्री ने भारतीय उद्योग जगत से कहा कि वो सरकार को जानकारी दें कि क्लाइमेट चेंज उनको कैसे प्रभावित कर रहा है. वो उनकी लागत पर पड़ने वाले बोझ को कम करने के उपायों को भी सुझाएं.


(इनपुट- भाषा)


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