Nitin Gadkari News: `नितिन गडकरी का फार्मूला` बचाएगा लाखों की जान, अब खाई में गिरने से पहले लगेगा कार का ब्रेक!
Nitin Gadkari Parliamesnt Session: नितिन गडकरी ने राज्यसभा में कहा कि पहाड़ी इलाकों में एक्सीडेंट काफी ज्यादा होते हैं, ये बात बिलकुल सच है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पहले लोहे के बैरियर लगते थे जो हेवी दुर्घटना को रोक नहीं पाते थे लेकिन अब नई तकनीक आ गई है जिसका इस्तेमाल सरकार करने वाली है.
Truck Accident In Mountains: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की तारीफ उनके प्रतिद्वंदी भी करते हैं. भारत में तेजी से सड़कों और एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो रहा है. इससे भारत के राज्य और अलग-अलग जिले आपस में जुड़ते जा रहे हैं. केंद्रीय मंत्री ने सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने का रास्ता सुझाया है. नितिन गडकरी ने राज्यसभा में हाईवे पर ट्रकों और गाड़ियों को प्रोटेक्ट करने और दुर्घटना को कम करने का प्लान बता दिया है. राज्यसभा में जब नितिन गडकरी ने पूछा गया कि कश्मीर में केंद्र सरकार काम तो काफी करा रही है, लेकिन इसके बावजूद सड़कों पर दुर्घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. राज्यसभा में सवाल पूछते हुए नॉमिनेडेट सदस्य अली ने कहा कि अक्सर ट्रक का क्रैश इतना भंयकर होता है कि एक्सीडेंट क्रैश बैरियर रोक नहीं पता है. जब ये फिसलकर नीचे गिरते हैं तो कुछ भी नहीं मिलता है.
नितिन गडकरी ने क्या कहा?
सवाल का जवाब देने के लिए खुद नितिन गडकरी सामने आए. उन्होंने कहा कि पहाड़ी इलाकों में एक्सीडेंट काफी ज्यादा होते हैं, ये बात बिलकुल सच है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पहले लोहे के बैरियर लगते थे जो हेवी दुर्घटना को रोक नहीं पाते थे लेकिन अब नई तकनीक आ गई है. इसमें कंक्रीट में प्लास्टिक का एक गोल मशीन लगा होता है, जो किसी भी बडे़ से बडे़ दुर्घटना के प्रेशर को झेल लेता है और फिर ट्रक कितनी भी जोर के टक्कर मारे वह नीचे नहीं गिरता है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस तरह की दुर्घटना अक्सर उत्तराखंड, हिमाचल, कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश की तरह पहाड़ी इलाकों में होती है.
इकोफ्रेंडली बेरियर का जिक्र
नितिन गडकरी ने कहा कि इस तरह की तकनीकी का इस्तेमाल अभी कुछ जगहों पर किया गया है और आगे हमारा ये पूरा प्रयास होगा कि इस तरह की दुर्घटना को और कैसे कम किया जा सकता है. नितिन गडकरी ने बांस के इकोफ्रेंडली बेरियर का भी जिक्र किया औक कहा कि आजकल असम में बांस के इकोफ्रेंडली बेरियर बनाए जा रहे हैं, जिससे आदिवासियों को काम मिलेगा.