Citizenship Amendment Act: नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने पुरजोर कोशिश की कि इस क़ानून के अमल पर रोक लग जाए और अभी इसके तहत किसी को नागरिकता न दी जाए. लेकिन न तो सरकार ने कोई ऐसा आश्वासन दिया और ना ही कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश पास किया. इसका मतलब ये है कि इस क़ानून के तहत नागरिकता देने का विकल्प अभी खुला है.


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असल में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस  क़ानून के खिलाफ 236 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. नियमों के नोटिफाई होने के बाद 20 नई याचिकाए दायर हुई है. सरकार को इस पर जवाब दाखिल करने के  लिए 4 हफ्ते का वक़्त चाहिए.


याचिकाकर्ताओं ने क़ानून पर रोक की मांग की
सुनवाई के दौरान इंडियन युनियन मुस्लिम लीग की ओर से कपिल सिब्बल, असदुद्दीन ओवैसी की ओर से निज़ाम पाशा पेश हुए. सिब्बल ने कहा कि ये क़ानून दिसंबर 2019 में संसद से पास हुआ था. इसके नियम नोटिफाई करने में सरकार ने साढ़े चार साल का वक़्त लिया. ऐसे में अब भी सरकार को कोई जल्दी नहीं होनी चाहिए. सरकार कोर्ट के फैसले का इतंज़ार कर सकती है. सिब्बल ने ये भी दलील दी कि अगर इस क़ानून के तहत किसी को नागरिकता मिल जाती है और कोर्ट आगे चलकर  इस क़ानून को रद्द कर देता है तो फिर उन लोगों से  नागरिकता वापस लेना मुश्किल हो जाएगा.


सरकार ने कोई आश्वासन देने से इंकार किया
सुनवाई के दौरान वकील इन्दिरा जय सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार कोर्ट को आश्वासन दे कि कोर्ट में मामला लंबित रहते वक़्त किसी को नागरिकता नहीं दी जाएगी. हालांकि सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने ऐसा कोई आश्वासन देने से इंकार किया. तुषार मेहता ने कहा कि किसी को नागरिकता मिले या नहीं मिले, याचिकाकर्ताओं को इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए. निजाम पाशा ने ये भी दलील दी कि सरकार एक और गैरमुस्लिमों को जो NRC के दायरे में नहीं आते, CAA के जरिये नागरिकता दे रही है. वही मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव कर रही



CAA का NRC से सम्बंध नहीं
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि CAA  पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ना झेल रहे लोगों को नागरिकता देने का क़ानून है. किसी की नागरिकता इससे नहीं जा रही है. CAA का  NRC से कोई सम्बंध नहीं है. लोग बेवजह भ्रम फैला रहे है.


कोर्ट ने भी रोक नहीं लगाई
याचिकाकर्ता जब इस क़ानून पर अंतरिम रोक लगवाने में सफल होते नज़र नहीं आये तो वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि कोर्ट  कम से ये कम साफ कर दे कि अगर किसी को इस क़ानून के तहत नागरिकता मिलती है तो उसकी नागरिकता कायम रहेगी या नहीं, ये सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार के पास अभी वो संसाधन और कमेटी नहीं है कि वो इसके जरिये नागरिकता दे सके. सिब्बल ने कहा कि लेकिन अगर किसी को नागरिकता मिलती है तो हम कोर्ट  का रुख करेंगे. कोर्ट ने कहा कि ऐसी सूरत में आप कोर्ट का रुख कर सकते हैं.