नयी दिल्ली: सरकार ने मंगलवार (18 अप्रैल) को उच्चतम न्यायालय से कहा कि यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि किसी को राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रगान के सम्मान के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़े.


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सरकार ने कहा कि राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान के लिए सम्मान से ‘कोई समझौता नहीं’ है.


सरकार द्वारा इस मुद्दे पर अपनी स्थिति बताने के बाद न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति एम एम शांतागौदार की पीठ ने अपने पूर्व आदेश में संशोधन करते हुए राष्ट्रगान बजने पर विकलांगों को सिनेमाघरों में खड़ा होने से छूट दी.


पीठ ने कहा कि हम आदेश में संशोधन करने के इच्छुक हैं और निर्देश देते हैं कि व्हीलचेयर पर चलने वाले, स्वलीनता, सेरेब्रल पैल्सी, बहुविकलांगता, पार्किसंस आदि बीमारियों से ग्रस्त लोग इस अदालत द्वारा पारित आदेश के दायरे में नहीं आएंगे.


सुनवाई की शुरुआत में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी को राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान के लिए सम्मान सुनिश्चित करने के लिए इस अदालत की शरण में आना पड़े, लेकिन सबसे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कुछ धड़े इसका विरोध कर रहे हैं.