नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) से लड़ रहे हमारे देश में मौजूदा समय में वेंटिलेटर और पर्सनल प्रोटेक्शन इक्युपमेंट की पर्याप्त सप्लाई नहीं है, पर केंद्र सरकार ने इसका भी इंतजाम कर दिया है. वित्त मंत्रालय ने एक अहम फैसला लिया है, जिसके तहत सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए कुछ आइटम्स के इंपोर्ट पर बेसिक कस्टम ड्यूटी और हेल्थ सेस पर छूट देगी.


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जिन आइटम्स पर बेसिक कस्टम ड्यूटी और हेल्थ सेस पर छूट मिलेगी, वो हैं - वेंटिलेटर, फेसमास्क, सर्जिकल मास्क, पर्सनल प्रोटेक्शन इक्युपमेंट, कोविड -19 टेस्ट किट, इन सभी को बनाने का सामान. अभी मेडिकल इक्युपमेंट पर 5% हेल्थ सेस लगता है और बेसिक कस्टम ड्यूटी 7.5% तक है. अब इन आइटम्स पर अगले 30 सितंबर तक न कस्टम ड्यूटी देनी है, न ही हैल्थ सेस.


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देश में हर साल लगभग 39,000 करोड़ रुपए के मेडिकल डिवाइस इंपोर्ट होते हैं, लेकिन कोरोना के समय ये महसूस किया जा रहा है कि कोविड -19 के टेस्ट बहुत कम हो रहे जिसे बढ़ाने की ज़रूरत है. वहीं जिस हिसाब में कोरोना संक्रमित की संख्या बढ़ रही है उसमें वेंटिलेटर की बहुत बड़ी संख्या में जरूरत आ पड़ी है. इसके अलावा डॉक्टर और कोरोना से लड़ रहा स्टाफ के लिए पीपीपी की भी बहुत बड़ी संख्या चाहिए लिहाजा फैसला किया गया कि कुछ महीनों तक इन पर ड्यूटी और सेस न ही लगाया जाएगा जिससे इनकी कमी पूरी की जा सके.


 



हालांकि मास्क पीपीपी और वेंटिलेटर देश में जुगाड़ तकनीक या अलग अलग तकनीक से बनाने की कोशिश हो रही है. वहीं टेस्टिंग किट भी बनाई जा रही है लेकिन तय मानकों पर ये सामान बनाया जा सके इसके लिए कच्चे माल की जरूरत भी है. ये आइटम्स भारत में बनाए जा सके, इसलिए ये छूट काफी अहम है. ड्यूटी में छूट देने से इन सामानों उपकरणों की लागत कम आएगी और सस्ती दर पर उपलब्ध हो सकेंगे.