बातचीत वाले दिन अब लद चुके..PAK को हर जवाब उसी की भाषा में मिलेगा, जयशंकर की खरी-खरी
S Jaishankar: जयशंकर ने यह भी कहा कि पड़ोसियों के साथ संबंधों को बनाए रखना सबसे मुश्किल काम होता है. दुनिया के किसी भी देश की तरफ देखें तो पड़ोसी समस्या बने हुए हैं. लेकिन पाकिस्तान के साथ अब बातचीत वाले दिन चले गए.
India-Pakistan News: अपनी बेबाक और धमाकेदार शैली के लिए मशहूर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अब पाकिस्तान को खरी-खरी सुना दी है. पाकिस्तान के साथ बातचीत और रिश्तों पर विदेश मंत्री ने कहा कि पड़ोसी देश के साथ बातचीत का दौर खत्म हो चुका है. अब उससे उसी भाषा में जवाब दिया जाएगा जिस तरह की भाषा वो प्रयोग करेगा. हालांकि इस दौरान जयशंकर ने यह भी कहा कि पड़ोसियों के साथ संबंधों को बनाए रखना सबसे मुश्किल काम होता है. दुनिया के किसी भी देश की तरफ देखें तो पड़ोसी समस्या बने हुए हैं. जयशंकर की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब हाल ही में पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में आयोजित होने वाले एससीओ सम्मेलन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को औपचारिक न्योता भेजा है.
हर देश के लिए पड़ोसी एक समस्या
असल में दिल्ली में एक किताब के विमोचन के मौके पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी है. पड़ोसियों को साथ संबंधों को लेकर जयशंकर ने कहा कि दुनिया के हर देश के लिए पड़ोसी एक समस्या है. ऐसा कोई देश नहीं है, जिसकी पड़ोसी के साथ समस्याएं नहीं हैं. उन्होंने पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश समेत कई अन्य पड़ोसियों का जिक्र किया.
उसी की तरह जवाब देने के लिए तैयार
इसी दौरान जयशंकर से जब यह पूछा गया कि क्या पाकिस्तान के साथ रिश्ते पर भारत विचार कर सकता है? इस पर जयशंकर ने साफ कहा कि मैं जो कहना चाहता हूं, वह साफ है. पाकिस्तान के साथ चाहे घटनाएं सकारात्मक दिशा लें या नकारात्मक, हम हर हाल में उसी की तरह जवाब देने के लिए तैयार हैं. सही रुख उनको दिखाना होगा. अब बातचीत वाले दिन चले गए.
हर एक एक्शन का रिएक्शन होता है
जयशंकर ने यह भी कहा कि हर एक एक्शन का रिएक्शन होता है. जहां तक जम्मू एवं कश्मीर की बात है तो अनुच्छेद 370 समाप्त हो चुका है. ऐसे में पाकिस्तान के साथ हम किस तरह के रिश्ते के बारे में सोचना चाहिए. उन्होंने फिर से स्पष्ट किया कि भारत अब आतंकवाद और बातचीत को एक साथ नहीं देख सकता है और पाकिस्तान को अपनी नीति पर पुनर्विचार करना होगा यदि वह भारत के साथ बातचीत करना चाहता है.
बांग्लादेश पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि यह सच है कि वहां राजनीतिक बदलाव हुए हैं. हमें आपसी हितों का ध्यान रखना होगा. लेकिन बांग्लादेश के साथ हमारे संबंध उसकी स्थापना के समय से ही उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं. हम वहां की तत्कालीन सरकार से निपटने में सक्षम हैं. वहीं चीन का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वह हमारा पड़ोसी होने के साथ ही एक शक्ति भी. मालदीव पर भी जयशंकर ने कहा कि हमारे रिश्ते उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं. इस रिश्ते में भारत ने बहुत निवेश किया है, अच्छी बात है कि मालदीव ने हमारे प्रयासों को पहचाना है.