नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आज राज्यों और सीबीएसई को परामर्श जारी कर कहा कि वे अगले साल से 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बढ़ा-चढ़ाकर नंबर देने का चलन बंद करें.  बहरहाल, मॉडरेशन नीति पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया और यह चलन जारी रहने की संभावना है.  ऐसे छात्रों को कृपांक (ग्रेस मार्क्स) देने का चलन जारी रहेगा जिन्हें परीक्षा पास करने के लिए कुछ ही अंकों की जरूरत हो. लेकिन स्कूल और राज्य बोर्ड की वेबसाइटों पर यह सूचना देनी होगी.


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क्या कहना है मंत्रालय का...
स्कूल शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप की ओर से जारी परामर्श में कहा गया, ‘‘इकट्ठे मार्क्स (बंचिंग ऑफ मार्क्स) देना और उन्हें बढ़ाकर देने से परहेज करना चाहिए. ग्रेस मार्क्स देने का चलन जारी रहना चाहिए ताकि कुछ ही नंबर से फेल होने की कगार पर खड़े छात्रों को पास किया जा सके.’’ 


मॉडरेशन नीति के तहत छात्रों को ऐसे विषयों में अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं जिन्हें‘‘बेहद मुश्किल’’माना जाता है या प्रश्न-पत्रों के सेटों में अंतर होते हैं. जबकि ‘स्पाइकिंग’ के तहत बोर्डों की ओर से काफी बढ़ा-चढ़ाकर अंक दिए जाते हैं ताकि पिछले साल की सांख्यिकी के संबंध में पास प्रतिशत में समानता लाई जा सके.


सीबीएसई और 32 अन्य बोर्डों ने 24 अप्रैल को एक बैठक में मॉडरेशन नीति रद्द करने पर आम राय कायम की थी. बहरहाल, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीएसई से कहा था कि वह नीति को रद्द नहीं करे. न्यायालय ने कहा था कि बीच में बदलाव लागू करने की सलाह नहीं दी जा सकती.


केंद्र ने 2018 में 12वीं परीक्षा में शामिल होने जा रहे छात्रों के लिए एक समान मार्किंग सुनिश्चित करने के लिए एक समिति का भी गठन किया है ताकि ‘‘बढ़ा-चढ़ाकर नंबर’’दिए जाने के चलन को बंद किया जा सके .


सीबीएसई के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी इस समिति के सदस्य हैं. समिति में गुजरात, जम्मू-कश्मीर, केरल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मणिपुर और इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (आईसीएसई) बोर्डों के अधिकारी इसमें सदस्य के तौर पर शामिल हैं . यह समिति 24 अप्रैल को हुई बैठक में लिए गए निर्णयों से पैदा होने वाले मुद्दों का समाधान करेगी.