DNA Analysis: देवदूत नहीं यमदूत बनकर इलाज करते हैं फर्जी डॉक्टर, देश में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार
Noida fake doctor case: हमारे देश में डॉक्टर को ईश्वर का दर्जा दिया जाता है. कहा जाता है कि डॉक्टर में भगवान बसते हैं लेकिन हमारे देश में अब इतने फर्जी डॉक्टर पैदा हो गये हैं कि खुद भगवान भी कंफ्यूज़ हो जाएं कि कौन असली डॉक्टर है और कौन नकली?
Fake doctor arrested in Noida: नीम हक़ीम ख़तरा-ए-जान...ये बहुत पुरानी कहावत है, जिसका अर्थ है- बिना ज्ञान वाले डॉक्टरों से इलाज करवाना अपनी जान को खतरे में डालना है. ग्रामीण इलाकों में तो अब भी हकीम पाए जाते हैं, लेकिन शहरों में ये दर्जा फर्जी डॉक्टरों को प्राप्त है जो बिना पढ़े डिग्री खरीदकर प्रैक्टिस कर रहे हैं और लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. ऐसे ही एक फर्जी डॉक्टर के क्लिनिक से IVF करवाना एक महिला को भारी पड़ गया जिसकी कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ गई. ये घटना दिल्ली के पड़ोस, नोएडा की है.
फर्जी डॉक्टर ने ली महिला की जान
गाजियाबाद के वसुंधरा की रहने वाली ललिता 19 अगस्त को नोएडा के IVF Creation World सेंटर में इलाज के लिए आई थीं. IVF के जरिये दो महीने की गर्भवती, ललिता का प्रेग्नेंसी से जुड़ा इलाज पिछले दो महीने से इसी सेंटर पर चल रहा था. आरोप है कि इलाज के दौरान डॉक्टर ने ललिता को बेहोश करने वाली दवा की ओवरडोज़ दी जिसके बाद वो कोमा में चली गई. परिवारवालों ने ललिता को दूसरे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां 26 अगस्त को ललिता की मौत हो गई.
नोएडा में ललिता की मौत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया तो ललिता को एनेस्थीसिया देने वाला आरोपी डॉक्टर कुणाल फरार हो गया. जांच के दौरान पुलिस ने IVF सेंटर के संचालक प्रियरंजन ठाकुर से उसकी डिग्री मांगी. डॉक्टर ने अपनी MBBS की जो डिग्री दिखाई, वो फर्जी निकली. इसके बाद पुलिस ने इस फर्जी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया. ये सिर्फ डॉक्टर की लापरवाही से हुई मौत की खबर नहीं है. ये खबर हमारे देश में फैले फर्जी डॉक्टरों के मकड़जाल का पर्दाफाश करती है जो नकली डिग्रियां खरीदकर खुद को डॉक्टर बताने लगते हैं और क्लीनिक की शक्ल में बड़ी-बड़ी दुकानें खोलकर बैठ जाते हैं, जिनके झांसे में फसंकर हर साल ना जाने कितने मरीज बेमौत मारे जा रहे हैं.
देश में आधे से ज्यादा डॉक्टर हैं फर्जी
हमारे देश में डॉक्टर को ईश्वर का दर्जा दिया जाता है. कहा जाता है कि डॉक्टर में भगवान बसते हैं लेकिन हमारे देश में अब इतने फर्जी डॉक्टर पैदा हो गये हैं कि खुद भगवान भी कंफ्यूज़ हो जाएं कि कौन असली डॉक्टर है और कौन नकली? साल 2016 में भारत के स्वास्थ्य कर्मियों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट आई थी. इसमें कहा गया था कि देश में जितने डॉक्टर्स एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस कर रहे हैं, उनमें से आधे से भी ज्यादा फर्जी हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस कर रहे 57.3 फीसदी लोगों के पास मेडिकल की कोई डिग्री ही नहीं है. ग्रामीण इलाकों में प्रैक्टिस करने वाले महज 18.8 फीसदी डॉक्टर्स के पास मेडिकल की डिग्री है. प्रैक्टिस करने वालों में सिर्फ 31.4 फीसदी ने सिर्फ कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई की है.
WHO ने जब ये रिपोर्ट जारी की थी तब भारत सरकार ने इसे बकवास बताया था. लेकिन बाद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को सही माना था. ये आंकड़े भारत की हेल्थ सिस्टम के गंभीर रूप से बीमार होने की कहानी खुद बयान करते हैं. फर्जी डॉक्टर भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था की वो कड़वी सच्चाई हैं जिसे नकारा नहीं जा सकता. इन्हें गांवों में ग्रामीण चिकित्सक, बंगाली डॉक्टर और झोलाछाप डॉक्टर कहा जाता है और शहरों में अक्सर इन्हें मुन्नाभाई MBBS कहकर बुलाया जाता है जो कहीं भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. ये वो लोग हैं जिनके पास मेडिकल की कोई डिग्री नहीं है, जो पहले कंपाउंडर बनते हैं और फिर अपना खुद का क्लिनिक खोल लेते हैं. अपने अधूरे ज्ञान और अंदाजे के आधार पर इलाज करते हैं, जिसके कारण कई बार मरीजों की जान तक चली जाती है, जैसा कि नोएडा में ललिता के साथ हुआ है.
मरीजों की मौत का जिम्मेदार कौन?
साल 2018 में आई एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 19.2 प्रतिशत मौतें फर्जी डॉक्टरों की वजह से होती हैं. ग्रामीण भारत में ये आंकड़ा 23.1 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 8.7 प्रतिशत है. फर्जी डॉक्टरों से इलाज करवाने की वजह से सबसे ज्यादा 38.6 प्रतिशत मौतें ओडिशा में होती हैं, जबकि दूसरे नंबर पर झारखंड है, जहां 34.6 मौतों के लिए फर्जी डॉक्टर जिम्मेदार होते हैं. ये आंकड़े गवाही देते हैं कि फर्जी डॉक्टर, देवदूत नहीं बल्कि यमदूत बनकर इलाज करते हैं. लेकिन आखिर वो कौन सी मजबूरी है कि हमारे देश में इतने Qualified डॉक्टर्स नहीं हैं, जितने फर्जी डॉक्टर हैं. इसकी तीन बड़ी वजह हैं.
पहली और सबसे बड़ी वजह है -डॉक्टरों की कमी, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एक हजार की आबादी पर एक एलोपैथिक डॉक्टर होना चाहिए. भारत में 1343 की आबादी पर एक एलोपैथिक डॉक्टर उपलब्ध है. दूसरी वजह है -प्राइमरी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया था कि देश के कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स में कुल मिलकर 21 हजार 340 विशेषज्ञों की जरुरत है, जिनमें से केवल 3881 ही उपलब्ध है जबकि 17 हजार 459 की कमी है. तीसरी वजह है -निजी अस्पतालों में महंगा इलाज. भारत में निजी अस्पताल में भर्ती होने में प्रति व्यक्ति औसतन 20 हजार रुपये खर्च होते हैं. ये रकम इतनी है कि देश की लगभग आधी आबादी सालभर में अपने खाने-पानी के सामान पर खर्च करती है.
ऐसे में देश की एक बड़ी आबादी फर्जी डॉक्टरों से इलाज करवा रही है क्योंकि एक तो ये हर गली-मोहल्ले में आसानी से मिल जाते हैं और कम खर्च में इलाज भी कर देते हैं. यानी फर्जी डॉक्टरों से इलाज करवाना लोगों के लिए जरूरी भी हो जाता है और मजबूरी भी. झोलाछाप डॉक्टर भी कई प्रकार के होते हैं. जरूरी नहीं है कि बिना मेडिकल डिग्री प्रेक्टिस करने वाला ही फर्जी डॉक्टर हो, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में झोलाछाप डॉक्टरों की परिभाषा बताई है. आयुर्वेदिक, यूनानी या होम्योपैथिक चिकित्सा में योग्यता रखने वाला डॉक्टर, एलोपैथिक उपचार नहीं कर सकता.
आखिर कौन हैं झोलाछाप डॉक्टर?
इस आधार पर झोलाछाप डॉक्टरों को तीन प्रकार में बांटा जा सकता है. पहला -बिना किसी योग्यता के झोलाछाप, यानी जिनके पास कोई मेडिकल डिग्री नहीं है. दूसरा - ऐसे आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और प्राकृतिक चिकित्सा के डॉक्टर, जो एलोपैथिक उपचार कर रहे हैं. तीसरा इलाज की Alternative पद्धति, जैसे इलेक्ट्रो-होम्योपैथी और इंडो-एलोपैथी के डॉक्टर, जिन्हें भारतीय कानून में कोई मान्यता प्राप्त नहीं है. ज्यादातर लोगों को ये अंदाजा ही नहीं होता कि वो फर्जी डॉक्टर को कैसे पहचानें. लोगों को अक्सर तभी पता चलता है जब पुलिस नकली डॉक्टर के क्लीनिक पर छापा मारती है या जब कोई नकली डॉक्टर गिरफ्तार होता है. कई बार इंडियन मेडिकल काउंसिल और राज्यों की मेडिकल काउंसिलों ने झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए सर्वे की योजना भी बनाई, जो कभी पूरी नहीं हो पाई.
ऐसा नहीं है कि हमारे देश में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कोई कानून नहीं है. अगर कोई व्यक्ति बिना किसी मेडिकल डिग्री के किसी मरीज का इलाज करता है तो उसके खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 419, 420 के अलावा इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 15 (3) के तहत कड़े दंड का प्रावधान है. इस एक्ट में एक साल तक की सजा हो सकती है. इसके बावजूद हमारे देश में मुन्नाभाई MBBS यानी फर्जी डॉक्टरों की फौज, ये ना सिर्फ मौज कर रही है बल्कि लोगों की जान भी ले रही है.
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