अब गैर अनुसूचित मामलों की जांच कर सकती है NIA, सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाया NIA की जांच का दायरा
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए NIA की जांच का दायरा बढ़ा दिया है. नए आदेश के मुताबिक अब अनुसूचित अपराधों की जांच करते समय एनआईए किसी अन्य अपराध की भी जांच कर सकती है, जिसे आरोपी ने कथित तौर पर किया है, बशर्ते कि अन्य अपराध किसी अनुसूचित अपराध से जुड़ा हो.
Supreme Court on NIA: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की शक्तियों को बढ़ावा देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया कि एजेंसी की शक्तियां एनआईए एक्ट की अनुसूची में उल्लिखित अपराधों या ऐसे 'अनुसूचित अपराधों' को करने वाले आरोपियों की जांच तक ही सीमित नहीं हैं. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने NIA एक्ट की धारा 8 की व्याख्या करते हुए कहा,'अनुसूचित अपराधों की जांच करते समय एनआईए किसी अन्य अपराध की भी जांच कर सकती है, जिसे आरोपी ने कथित तौर पर किया है, बशर्ते कि अन्य अपराध किसी अनुसूचित अपराध से जुड़ा हो.'
अदालत ने यह भी साफ किया कि धारा 8 के अध्ययन के मुताबिक, 'आरोपी' का मतलब सिर्फ वह आरोपी नहीं है जिसके खिलाफ अनुसूचित अपराध के लिए NIA जांच कर रही है. NIA अन्य आरोपियों के उन अपराधों की भी जांच कर सकती है जो अनुसूचित अपराध से जुड़े हुए हों. फैसले में यह भी बताया गया कि धारा 8 में 'किसी अन्य अपराध' का मतलब बहुत बड़ा है. यह अपराध NIA अधिनियम की अनुसूची में शामिल हो या न हो, लेकिन अगर वह अनुसूचित अपराध से जुड़ा है तो NIA उसकी जांच कर सकती है.
यह फैसला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए दिया गया, जिसमें अंकुश विपन कपूर की जमानत रद्द की गई थी. कपूर पर पाकिस्तान से 100 करोड़ रुपये की हेरोइन की तस्करी के रैकेट में शामिल होने का आरोप है. कपूर ने NDPS एक्ट के तहत दर्ज FIR की जांच NIA को सौंपे जाने को चुनौती दी थी. हालांकि NDPS एक्ट के अपराध NIA अधिनियम की अनुसूची में शामिल नहीं हैं. NIA को NDPS के मामलों की जांच इसलिए सौंपी गई क्योंकि वह पहले ही UAPA (आतंकवाद-रोधी कानून) के तहत अपराधों की जांच कर रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कदम NIA अधिनियम के अनुरूप है, क्योंकि UAPA के तहत अनुसूचित अपराध और NDPS मामलों के बीच संबंध और कड़ी पाई गई है.
क्या है पूरा मामला
जनवरी 2020 में पंजाब के मोहाली में पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स ने सुखबीर सिंह नामक व्यक्ति के खिलाफ नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS एक्ट) के तहत मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध हथियार रखने के आरोप में एफआईआर दर्ज की. पूछताछ के दौरान सुखबीर सिंह ने बताया कि जिस कार में उसे पकड़ा गया, वह अंकुश विपिन कपूर की है. जब पुलिस ने कपूर को उसकी दुकान से गिरफ्तार किया तो वहां से हेरोइन मिली. कपूर को जुलाई 2021 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जमानत दे दी.
इसी समय, सुखबीर सिंह पर 2018 से गुजरात में 500 किलोग्राम मादक पदार्थ पाकिस्तान से लाने का आरोप था. जून 2020 में गृह मंत्रालय ने गुजरात की इस जांच को एनआईए को सौंप दिया. एनआईए ने इस मामले में UAPA की धारा 17 और 18 के तहत आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने और साजिश के आरोप जोड़े. इसके बाद एनआईए ने सुखबीर सिंह को पंजाब पुलिस से हिरासत में लिया और उसने फिर से कपूर का नाम लिया.
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला
मई 2023 में एनआईए ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से कपूर की जमानत रद्द करने का अनुरोध किया. हाई कोर्ट ने गुजरात में 500 किलोग्राम हेरोइन के मामले और कपूर के लिंक को देखते हुए जमानत रद्द कर दी और कहा कि इस मामले में जांच और हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है. इसके खिलाफ कपूर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.