Odisha Train Accident: `एंबुलेंस वाले को 32 हजार देकर घर पहुंचे`, ओडिशा ट्रेन हादसे के पीड़ितों का छलका दर्द
Balasore Train Accident: शुक्रवार शाम को दो पैसेंजर और एक मालगाड़ी की ओडिशा के बालासोर में भिड़ंत हो गई. इस हादसे में 275 लोगों की मौत हो गई और 1000 से ज्यादा लोग घायल हो गए. इसके बाद राहत एवं बचाव कार्य जारी है. सरकार दावे कर रही है कि घायलों को हर सुविधा मुहैया कराई जा रही है. मुआवजे का भी ऐलान हो चुका है.
Indian Railway: ओडिशा के बालासोर में ट्रेन हादसे ने 275 जिंदगियों को लील लिया, उसमें मृतकों और घायलों को घर ले जाने के लिए परिजनों को हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. ट्रेन हादसे के पीड़ितों और परिवारों ने बताया कि उनको घर तक आने के लिए 32-50 हजार रुपये खर्च करने पड़े. जबकि शव ले जाने के लिए 80 हजार से एक लाख रुपये की मांग की जा रही है. कई लोगों ने तो गांव से चंदा जमा कर पैसों का इंतजाम किया. यह कहानी किसी एक परिवार की नहीं बल्कि न जाने कितने लोगों की है. आइए जानते हैं लोगों का दर्द उनकी जुबानी.
275 लोगों की मौत
शुक्रवार शाम को दो पैसेंजर और एक मालगाड़ी की ओडिशा के बालासोर में भिड़ंत हो गई. इस हादसे में 275 लोगों की मौत हो गई और 1000 से ज्यादा लोग घायल हो गए. इसके बाद राहत एवं बचाव कार्य जारी है. सरकार दावे कर रही है कि घायलों को हर सुविधा मुहैया कराई जा रही है. मुआवजे का भी ऐलान हो चुका है. लेकिन दुर्घटना में जो लोग घायल हुए हैं, उनके लिए घर जाना पहाड़ चढ़ने जैसा दूभर हो गया. बिहार में अपने घर लौटे लोगों ने बताया कि उनको एंबुलेंस के लिए 32 हजार रुपये चुकाने पड़े. 6 लोग बेगूसराय से मजदूरी करने गए थे. लेकिन बालासोर ट्रेन हादसे में वह घायल हो गए.
एक शख्स मोहम्मद अली ने बताया कि वहां उनका ठीक से इलाज नहीं हो रहा था. इसलिए उन लोगों ने एक एंबुलेंस की, जिसके लिए 32 हजार रुपये तक देने पड़े. हादसे के बाद उस भयावह दृश्य को देखकर उनकी रूह कांप उठी. उन्होंने बताया कि काफी शव इधर-उधर पड़ी थी. स्थानीय लोग आए और उन्होंने हमारा प्राथमिक उपचार कराया.इसके बाद वहां लोगों ने एंबुलेंस से हमारा कॉन्टैक्ट कराया और हम लोग 32 हजार रुपये देकर घर पहुंचे.
लाश के लिए अलग श्रेणी
अली ने आगे बताया कि एंबुलेंस के ड्राइवरों ने यहां तक कहा कि अगर लाश साथ में है तो उसकी रकम अलग से देनी होगी.लाश की भी उन लोगों ने अलग से श्रेणी बनाई हुई थी. यानी जिस तरह की लाश होगी, उसी मुताबिक रकम देनी होगी. स्थिति कितनी भयावह थी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिन लोगों की हालत गंभीर थी, उनको भी लाशों में गिना जा रहा था. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है.