Odisha Train Accident: सिग्नल देकर फिर ले लिया वापस, ओडिशा ट्रेन हादसे की सबसे बड़ी वजह का हुआ खुलासा
Coromandel Express Train: ओडिशा ट्रेन हादसे की हाई लेवल जांच शुरू कर दी है, जो दक्षिण-पूर्वी ब्लॉक के रेलवे सिक्योरिटी कमिश्नर की अगुआई में होगी. रेलवे सिक्योरिटी कमिश्नर मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन के तहत काम करता है और इस तरह के सभी हादसों की जांच करता है.
Train Accidents in India: ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को हुए भीषण ट्रेन हादसे में 261 लोगों की मौत हो गई और 900 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. दो पैसेंजर ट्रेन और एक मालगाड़ी के बीच हुई भयानक टक्कर के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. अब इस हादसे की जॉइंट इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें हादसे के पीछे सिग्नल से जुड़ी गलती बताई गई है.
रिपोर्ट में कहा गया कि एक मालगाड़ी बहानगा बाजार स्टेशन पर लूप लाइन में खड़ी थी. तभी कोरोमंडल एक्सप्रेस (12841) स्टेशन पर पहुंची. लूप लाइन में किसी ट्रेन को तब खड़ा किया जाता है, जब किसी अन्य ट्रेन को आगे भेजा जाना हो. बहानगा रेलवे स्टेशन पर भी स्थिति यही थी. कोरोमंडल एक्सप्रेस को आगे भेजने के लिए लूप में गाड़ी को स्टेशन पर खड़ा किया गया था.
जॉइंट इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में कहा गया कि पहले अप मेन लाइन के लिए कोरोमंडल एक्सप्रेस को सिग्नल भेजा गया था. लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया. तब तक कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन पर चली गई और वहां खड़ी मालगाड़ी से उसकी भिड़ंत हो गई. मालगाड़ी से टक्कर के बाद उसके डिब्बे पटरी से उतर गए.
चश्मदीद ने बयां किया खौफ का मंजर
कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार यात्री अनुभव दास ने इस भयावह दुर्घटना का आंखों देखा हाल बयां किया. दास ने कई ट्वीट कर विस्तार से बताया कि दुर्घटना कैसे हुई. उन्होंने कहा,'मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि हावड़ा से चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस के भीषण हादसे का शिकार होने के बावजूद मैं सकुशल बच गया. यह शायद सबसे बड़ी ट्रेन दुर्घटना है.' उन्होंने लिखा, 'मैंने पटरी पर 200 से 250 यात्रियों के शव बिखरे देखे.पूरी पटरी पर क्षत-विक्षत शव का अंबार लगा हुआ था और खून फैला हुआ था. यह एक ऐसा दृश्य था, जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा.
रूट पर नहीं थी कवच प्रणाली
ओडिशा ट्रेन हादसे की हाई लेवल जांच शुरू कर दी है, जो दक्षिण-पूर्वी ब्लॉक के रेलवे सिक्योरिटी कमिश्नर की अगुआई में होगी. रेलवे सिक्योरिटी कमिश्नर मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन के तहत काम करता है और इस तरह के सभी हादसों की जांच करता है. रेलवे ने बताया कि रेलगाड़ियों को टकराने से रोकने वाला सिस्टम 'कवच'इस रूट पर उपलब्ध नहीं है. भारतीय रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा, बचाव अभियान पूरा हो गया है. हम अब बहाली प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं. इस मार्ग पर कवच सिस्टम उपलब्ध नहीं था.' रेलवे अपने नेटवर्क में 'कवच' सिस्टम मुहैया कराने की प्रक्रिया में है, ताकि रेलगाड़ियों के टकराने से होने वाले हादसों को रोका जा सके.