MP: 23 साल से पति लापता, बैंक ने पत्नी को नहीं दी जॉब, कोर्ट ने लगाया 2 लाख का जुर्माना
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के कर्मचारी की मौत के बाद बैंक के `अमानवीय रवैये` पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए GM और प्रबंधक पर जुर्माना लगाया है.
इंदौर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति (compassionate appointment) के एक मामले में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अधिकारियों के 'अमानवीय रवैये' की आलोचना करते हुए उन्हें याचिकाकर्ता महिला को दो लाख रुपये का हर्जाना चुकाने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट की इंदौर पीठ के जस्टिस विवेक रूसिया ने मीना ढाईगुड़े की रिट याचिका मंजूर करते हुए सोमवार को यह आदेश जारी किया.
महिला को दूसरे घरों में करना पड़ा काम
महिला ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के इंदौर में जीएम और मुख्य प्रबंधक (कार्मिक प्रशासन) के खिलाफ वर्ष 2012 में याचिका दायर की थी. एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा, 'यह प्रतिवादियों के अमानवीय रवैये के लिए उनपर हर्जाना लगाने का एकदम सटीक मामला है.' बैंक प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता महिला को उचित रोजगार के अभाव में दूसरों के घर में काम करना पड़ा ताकि वह अपने बेटों का लालन-पालन कर सके.
बैंक में चपरासी था पति
हाई कोर्ट ने बैंक अधिकारियों को यह आदेश भी दिया कि वे महिला की अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर विचार करें. मीना के वकील आनंद अग्रवाल ने बताया कि उनकी मुवक्किल के पति अशोक ढाईगुड़े तत्कालीन स्टेट बैंक ऑफ इंदौर (इस बैंक को भारतीय स्टेट बैंक में मिलाया जा चुका है) में चपरासी के रूप में काम करते थे. उन्होंने कहा कि ढाईगुड़े 19 दिसंबर 1998 को घर से बैंक के लिए रवाना हुए थे, लेकिन वह लापता हो गए.
यह भी पढ़ें: यहां शादी में दूल्हे को लाना पड़ता है दुल्हन का इनर वियर, लेकिन यही चक्कर बना मुसीबत
बैंक लगातार करता रहा आनाकानी
अग्रवाल ने बताया कि पुलिस से शिकायत करने के बाद भी जब सात साल तक ढाईगुड़े का कोई पता नहीं चल सका, तो उनकी पत्नी ने अनुकंपा के आधार पर बैंक में नौकरी दिए जाने का अनुरोध किया. लेकिन बैंक प्रबंधन ने इस पर वर्षों तक कोई ध्यान नहीं दिया. उन्होंने बताया कि ढाईगुड़े को 21 अक्टूबर 2005 को मृत मान लिया गया था.
LIVE TV