Chandra Shekhar Nawaz Sharif: कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. यह बात कई बार हार का मुंह देखने के बावजूद पाकिस्तानी हुक्मरानों को समझ नहीं आती है. वहां किसी भी पार्टी की सरकार हो और कोई भी प्रधानमंत्री हो बिना कश्मीर का राग अलापे उनके हलक से पानी नहीं उतरता है. यहां बात पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की जिनकी वतन वापसी हो रही है. उनका भी कश्मीर राग अलापने से जुड़ा एक किस्सा अब आपको बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कम लोगों को ही जानकारी होगी. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये शर्त पूरी करो और कश्मीर ले लो!


उत्तर प्रदेश के बलिया में जन्में देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को उनके गृह जनपद में लोग प्यार से 'बाबू साहब' कहकर बुलाते थे. हालांकि अपने प्रधानमंत्री पद के कार्यकाल के  दौरान उनकी छवि एक युवा तुर्क के रूप में थी. यूपी की माटी के इस लाल ने कभी नवाज शरीफ को ऐसी चुनौती दी थी कि उनके होश उड़ गए थे. दरअसल ये वाकया है साल 1991 का जब चंद्रशेखर की मुलाकात तत्कालीन पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ से हुई. वहां बातचीत के हल्के फुल्के दौर के बीच शरीफ ने चंद्रशेखर से नवाज शरीफ ने कश्मीर मांग लिया तो चंद्रशेखर ने उनकी मांग स्वीकार करते हुए उनके सामने एक शर्त रखी, जिसे सुनकर शरीफ ने अपना इरादा बदल दिया था.



हक्का-बक्का रह गए थे शरीफ


वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय ने अपनी किताब 'वीपी सिंह, चंद्रशेखर, सोनिया गांधी और मैं' में इस वाकये को काफी विस्तार से बताते हुए लिखा है कि चंद्रशेखर और नवाज शरीफ कॉमनवेल्थ देशों के सम्मेलन में शामिल होने गए थे. चंद्रशेखर अपना भाषण पूरा करने के बाद मंच से उतर रहे थे. तभी उनकी निगाह पाकिस्तानी वजीर ए आजम नवाज शरीफ पर पड़ी. चंद्रशेखर उनसे मिले. औपचारिकता निभाते हुए दो-चार बातें की. इस बीच लाइट मोड में चंद्रशेखर ने शरीफ से कहा आप बहुत बदमाशी करते हैं. नवाज शरीफ ने कहा, 'बदमाशी की वजह को दूर कर दीजिए.' यह सुनकर चंद्रशेखर ने जवाब में पूछा बताइए, क्या वजह है.


तब नवाज शरीफ बोले- 'हमें कश्मीर दे दीजिए, सारी बदमाशी खत्म हो जाएगी.' युवा तुर्क और तेजतर्रा नेता चंद्रशेखर जो अपनी हाजिर जवाबी को लेकर भी मशहूर थे, फौरन बोले-  ठीक है, आप ले जाइए कश्मीर. शरीफ मुस्कुराए बोले- चलिए बात हो जाए तब. फौरन एक बंद कमरे में मीटिंग हुई. तब चंद्रशेखर ने अपनी एक शर्त बताई और कहा कि हिंदुस्तान पाकिस्तान को कश्मीर दे देगा, बस उसकी एक शर्त स्वीकार ली जाए. मियां नवाज शरीफ भी अपने पूर्ववर्ती हुक्मरानों के लिए कश्मीर के लिए कुछ भी करने को राजी थे. उन्होंने कहा बताइए क्या शर्त होगी? 



किताब में आगे लिखा है कि तब चंद्रशेखर ने तब ये कहा कि आपको भारत के 15 करोड़ मुसलमान भी अपने साथ ले जाने होंगे. यह शर्त सुनते ही शरीफ के चेहरे का रंग उड़ गया. वो फौरन ये जान गए कि चंद्रशेखर की युवा तुर्क वाली छवि का राज क्या है? तब उन्होंने कहा- 'आप अपनी बात रोक दीजिए अब, मैं अपनी रोक देता हूं.' 



 


पाकिस्तान आतंकवादियों को पालने पोसने के चक्कर में अपने लोगों के ऊपर कभी ध्यान ही नहीं दे पाया. अपने मुल्क की बदहाली का रोना रोकर खर्चा-पानी (लोन/बेल आउट पैकेज) का जुगाड़ करने वाले पाकिस्तान के लिए उस समय भी खुद को संभाल पाना मुश्किल था. ऐसे में इतने बड़े हुजूम को भी साथ लेने की बात सुनकर वो सन्न रह गए होंगे, यही वजह है कि शरीफ फौरन बात बदलते हुए वहां से निकल गए थे.